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H-1B वीजा शुल्क में वृद्धि: ट्रंप के फैसले का भारत पर प्रभाव सीमित

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच1बी वीजा शुल्क में वृद्धि का आदेश दिया है, जिससे भारतीय आईटी कंपनियों में चिंता बढ़ गई है। हालांकि, नैसकॉम का कहना है कि इस निर्णय का भारत की स्थिति पर सीमित प्रभाव पड़ेगा। आंकड़ों के अनुसार, एच1बी वीजा पर निर्भरता कम हो रही है और नया शुल्क 2026 से लागू होगा। जानें इस विषय पर और क्या जानकारी है।
 

ट्रंप का नया फरमान

डोनाल्ड ट्रंप. (फाइल फोटो)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के लिए एक के बाद एक नए आदेश जारी किए हैं। पहले 25% का अतिरिक्त टैरिफ और अब एच1बी वीजा की फीस में वृद्धि कर दी है। इस निर्णय से आईटी कंपनियों की चिंताएं बढ़ गई हैं। हालांकि, ट्रंप की सोच के अनुसार भारत की स्थिति इतनी गंभीर नहीं होगी। नैसकॉम का कहना है कि इस क्षेत्र पर प्रभाव सीमित रहने की उम्मीद है।


एच1बी वीजा पर निर्भरता में कमी

वास्तव में, अमेरिका में कार्यरत भारतीय और भारत से संबंधित कंपनियों ने एच1बी वीजा पर अपनी निर्भरता को काफी कम कर दिया है और स्थानीय कर्मचारियों की भर्ती को बढ़ावा दिया है।


आंकड़ों का विश्लेषण

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 2015 में प्रमुख भारतीय कंपनियों को जारी किए गए एच1बी वीजा की संख्या 14,792 से घटकर 2024 में 10,162 रह गई है। नैसकॉम ने बताया कि अमेरिकी सरकार द्वारा एच1बी वीजा शुल्क में वृद्धि का प्रभाव वीजा धारकों पर नहीं पड़ेगा, जिससे उनकी पात्रता और समय सीमा के बारे में स्पष्टता मिली है।


नया शुल्क कब लागू होगा?

नैसकॉम ने कहा कि यह नया शुल्क 2026 से लागू होगा, जिससे कंपनियों को अमेरिका में कौशल कार्यक्रम को बेहतर बनाने और अधिक स्थानीय कर्मचारियों की भर्ती के लिए समय मिलेगा। भारतीय आईटी उद्योग ने राहत की सांस ली है, क्योंकि अमेरिकी सरकार ने स्पष्ट किया है कि एच1बी वीजा आवेदन पर एक लाख डॉलर का नया शुल्क केवल नए आवेदकों पर लागू होगा।


एच1बी वीजा शुल्क की जानकारी

एच1बी वीजा शुल्क आमतौर पर 2000 डॉलर से 5000 डॉलर के बीच होता है, जो नियोक्ता के आकार और अन्य खर्चों पर निर्भर करता है। अमेरिकी सरकार ने कहा है कि 21 सितंबर के बाद सभी नए एच1बी वीजा आवेदनों के लिए एक लाख डॉलर का शुल्क देना अनिवार्य होगा।