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GST में संभावित बदलाव: रोजमर्रा के सामान हो सकते हैं सस्ते

केंद्र सरकार गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) में महत्वपूर्ण बदलाव करने की योजना बना रही है, जिससे रोजमर्रा के सामान की कीमतों में कमी आ सकती है। 12% टैक्स स्लैब को समाप्त करने और कई उत्पादों को 5% श्रेणी में डालने का विचार किया जा रहा है। इससे आम उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी। इसके अलावा, टैक्स सिस्टम को सरल बनाने के लिए कई अन्य सुधार भी प्रस्तावित हैं। जानें इस बदलाव से आम जनता को क्या लाभ होगा और GST काउंसिल की अगली बैठक में क्या निर्णय हो सकता है।
 

केंद्र सरकार का नया आर्थिक सुधार

केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार की दिशा में कदम उठाए हैं। गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) को लागू हुए आठ वर्ष हो चुके हैं, और इसे और अधिक सरल और पारदर्शी बनाने की योजना बनाई जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, सरकार 12% टैक्स स्लैब को समाप्त करने पर विचार कर रही है, और इस श्रेणी में आने वाले अधिकांश उत्पादों को 5% टैक्स श्रेणी में डालने की तैयारी है। इससे आम उपभोक्ताओं को राहत मिलने की संभावना है, क्योंकि कई दैनिक उपयोग की वस्तुएं सस्ती हो सकती हैं।


कौन से सामान होंगे सस्ते?

वर्तमान में 12% टैक्स स्लैब में कई आवश्यक वस्तुएं शामिल हैं, जैसे डेयरी उत्पाद, चीज़, डेयरी पेय, मिठाइयाँ, टॉफियाँ, 1000 रुपये तक के जूते, कुछ कपड़े, ईंटें और क्लीन एनर्जी उपकरण। यदि इन्हें 5% स्लैब में लाया गया, तो इनकी कीमतों में सीधी कमी आएगी, जिससे आम लोगों की जेब पर बोझ कम होगा।


टैक्स सिस्टम को सरल बनाना

सरकार की योजना है कि GST टैक्स स्लैब को घटाकर केवल तीन दरों में विभाजित किया जाए: 5%, 18% और 28%। इससे टैक्स संरचना और अधिक स्पष्ट हो जाएगी, जिससे व्यापारियों और ग्राहकों दोनों के लिए इसे समझना आसान होगा।


सेस को हटाने की योजना

वर्तमान में कुछ महंगे उत्पादों जैसे कारें, सिगरेट, पान मसाला और कोल्ड ड्रिंक्स पर अतिरिक्त टैक्स के रूप में सेस लिया जाता है। यह सेस पहले राज्यों को GST से हुए नुकसान की भरपाई के लिए लगाया गया था, लेकिन अब इसे समाप्त कर इसे GST दर में जोड़ने का विचार है। यदि सेस को हटाकर GST दर में जोड़ा गया, तो इससे टैक्स संरचना और पारदर्शिता बढ़ेगी और राज्यों को भी टैक्स में अधिक हिस्सा मिलेगा।


जरूरी दवाओं पर प्रभाव

वर्तमान में आवश्यक दवाएं या तो टैक्स फ्री हैं या 5% के टैक्स स्लैब में आती हैं, जबकि कुछ अन्य दवाओं पर 12% टैक्स लगता है। विशेषज्ञों की मांग है कि इन दवाओं को भी 5% स्लैब में लाया जाए, जिससे इलाज की लागत कम हो सके और आम आदमी को राहत मिले।


GST काउंसिल की बैठक में संभावित निर्णय

GST काउंसिल की अगली बैठक जुलाई के तीसरे सप्ताह या मानसून सत्र के बाद हो सकती है। इस बैठक में टैक्स स्लैब की समीक्षा, सेस को समाहित करने और कुछ क्षेत्रों के टैक्स नियमों को सरल बनाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। साथ ही, GST अपीलेट ट्रिब्यूनल की स्थापना और इनवॉइस सिस्टम को सरल बनाने जैसे तकनीकी सुधारों पर भी विचार होगा।


आम जनता को क्या लाभ होगा?

रोजमर्रा के कई सामान सस्ते हो सकते हैं।


टैक्स की गणना और भुगतान की प्रक्रिया सरल होगी।


व्यापारियों को रेट क्लासिफिकेशन की जटिलताओं से राहत मिलेगी।


राज्यों को टैक्स शेयरिंग में पारदर्शिता मिलेगी।


यदि सरकार की यह योजना लागू होती है, तो यह GST सिस्टम को सरल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और आम आदमी को राहत मिलने की पूरी संभावना है। अब सभी की नजरें GST काउंसिल की अगली बैठक पर हैं, जहां इस पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है।