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FSSAI की नई परिभाषा: असली चाय की पहचान

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने चाय की नई परिभाषा पेश की है, जिसके अनुसार केवल Camellia sinensis पौधे से बने उत्पादों को ही 'चाय' कहा जाएगा। हर्बल और फ्लावर टी को अब 'इन्फ्यूजन' के रूप में बेचना होगा। इस नई नीति के तहत भ्रामक विज्ञापनों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। जानें इस नई परिभाषा के पीछे का कारण और इसके प्रभाव।
 

नई परिभाषा का महत्व

नई दिल्ली


भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने चाय की नई परिभाषा प्रस्तुत की है। इसके अनुसार, अब किसी भी पेय को चाय कहना गलत और अवैध माना जाएगा, यदि वह असली चाय के पौधे से नहीं बना है। आइए जानते हैं इस नई परिभाषा के बारे में।


असली चाय की पहचान

FSSAI ने स्पष्ट किया है कि केवल वही उत्पाद 'चाय' कहलाने के योग्य हैं, जो Camellia sinensis (कैमेलिया साइनेंसिस) पौधे की पत्तियों या कलियों से बनाए गए हैं। इसमें ग्रीन टी, कांगड़ा टी और इंस्टेंट टी शामिल हैं, क्योंकि ये सभी इसी पौधे से तैयार होते हैं। इसके अलावा, जड़ी-बूटियों, फूलों या अन्य पौधों से बने पेय को 'चाय' के रूप में बेचना अब 'मिसब्रांडिंग' माना जाएगा।


हर्बल और फ्लावर टी की स्थिति

बाजार में उपलब्ध हर्बल टी, रूइबोस टी, डिटॉक्स टी और फ्लावर टी वास्तव में 'चाय' नहीं हैं, बल्कि 'इन्फ्यूजन' हैं। FSSAI ने निर्माताओं और ई-कॉमर्स कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे इन उत्पादों के पैकेट से 'Tea/चाय' शब्द को तुरंत हटा दें। अब इन पेयों को 'प्रोप्राइटरी फूड' या उनके वास्तविक अवयवों के नाम से बेचना होगा।


भ्रामक विज्ञापनों पर कार्रवाई

प्राधिकरण ने यह भी स्पष्ट किया है कि उपभोक्ताओं को भ्रमित करना कानूनी अपराध है। खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत नियमों का उल्लंघन करने वाले निर्माताओं और विक्रेताओं पर भारी जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। राज्य के खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को ई-कॉमर्स साइटों और रिटेल स्टोर्स पर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं।