EPFO: प्राइवेट नौकरी में पेंशन की गणना कैसे करें?
EPFO: बुढ़ापे की सुरक्षा का उपाय
EPFO: प्राइवेट सेक्टर में कार्यरत लाखों कर्मचारियों के लिए बुढ़ापे की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है। सरकारी नौकरी की तरह यहां कोई निश्चित पेंशन नहीं होती, जिससे भविष्य को लेकर चिंता स्वाभाविक है। लेकिन यदि आप कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के सदस्य हैं और आपका पीएफ कटता है, तो आपको निराश होने की आवश्यकता नहीं है। ईपीएफओ की ईपीएस (EPS) योजना प्राइवेट नौकरी करने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण सहारा है। यदि आप 2025 या उसके बाद रिटायर होने की योजना बना रहे हैं, तो यह जानना आवश्यक है कि आपकी नौकरी समाप्त होने के बाद आपको हर महीने कितनी राशि प्राप्त होगी।
सैलरी से कटने वाला पैसा: बुढ़ापे की लाठी
यह समझना आवश्यक है कि रिटायरमेंट के बाद मिलने वाला पैसा कैसे जमा होता है। जब आपकी सैलरी से पीएफ का पैसा कटता है, तो यह केवल एक बचत नहीं है। वास्तव में, आपकी सैलरी से कटने वाली राशि का एक हिस्सा आपके भविष्य निधि (EPF) में जमा होता है, जबकि दूसरा हिस्सा आपकी कंपनी द्वारा जमा किया जाता है। कंपनी का योगदान का एक बड़ा हिस्सा सीधे इम्प्लॉईज पेंशन स्कीम (EPS) में जाता है।
पेंशन का हकदार बनने के लिए शर्तें
यह जमा पूंजी नौकरी के दौरान धीरे-धीरे इकट्ठा होती है और बाद में पेंशन का रूप ले लेती है। हालांकि, इसका लाभ उठाने के लिए ईपीएफओ ने कुछ शर्तें निर्धारित की हैं। पेंशन का हकदार बनने के लिए कर्मचारी को कम से कम 10 साल की नौकरी (पेंशन योग्य सेवा) करनी होगी। सामान्यतः 58 वर्ष की आयु में पूरी पेंशन मिलती है, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर कम उम्र से भी कम पेंशन (Reduced Pension) लेने का विकल्प उपलब्ध है।
पेंशन की गणना कैसे करें?
ईपीएफओ द्वारा निर्धारित फॉर्मूले के माध्यम से आप अपनी पेंशन का अनुमान लगा सकते हैं। इसका फॉर्मूला है: (पेंशन योग्य सैलरी × नौकरी के कुल साल) / 70।
यहां एक महत्वपूर्ण बिंदु है जिसे अक्सर नजरअंदाज किया जाता है। पेंशन की गणना के लिए आपकी अधिकतम सैलरी की सीमा (Basic Salary + DA) 15,000 रुपये प्रति माह मानी गई है। इसका मतलब है कि भले ही आपकी बेसिक सैलरी लाखों में हो, पेंशन की गणना 15,000 रुपये के आधार पर ही की जाएगी। ‘नौकरी के साल’ का अर्थ है कि आपने कुल कितने वर्षों तक ईपीएस खाते में योगदान दिया है।
2025 में रिटायर होने पर पेंशन राशि
इस गणित को एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए एक कर्मचारी कन्हैया हैं, जो 2025 में रिटायर होने वाले हैं। मान लेते हैं कि उनकी ईपीएस में कुल नौकरी या योगदान की अवधि 50 साल है। चूंकि पेंशन की गणना के लिए अधिकतम सैलरी सीमा 15,000 रुपये है, तो कन्हैया की पेंशन की गणना इस प्रकार होगी, 15,000 (सैलरी) × 50 (साल) ÷ 70 = 10,714 रुपये (लगभग)
इस हिसाब से कन्हैया को रिटायरमेंट के बाद हर महीने लगभग 10,714 रुपये की पेंशन मिलेगी। लेकिन यदि कन्हैया 58 साल की उम्र पूरी होने का इंतजार नहीं करते और 50 साल की उम्र से ही पेंशन लेना शुरू कर देते हैं, तो उन्हें हर साल 4% कम पेंशन मिलेगी। वहीं, यदि वे 58 के बजाय 60 साल तक पेंशन को टालते हैं, तो उनकी पेंशन राशि में वृद्धि होगी।