ED ने रिलायंस अनिल अंबानी समूह की 42 संपत्तियों को किया ज़ब्त
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रिलायंस अनिल अंबानी समूह की 42 संपत्तियों को अस्थायी रूप से ज़ब्त कर लिया है, जिनकी कुल कीमत 3,083 करोड़ रुपये से अधिक है। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत की गई है। ED का आरोप है कि समूह ने कर्ज चुकाने के लिए बड़ी राशि का दुरुपयोग किया। जानें इस मामले में और क्या खुलासे हो सकते हैं।
  Nov 3, 2025, 22:46 IST   
रिलायंस समूह की संपत्तियों पर ED की कार्रवाई
  प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 3 नवंबर 2025 को एक बयान में जानकारी दी कि उसने रिलायंस अनिल अंबानी समूह की 42 संपत्तियों को अस्थायी रूप से ज़ब्त कर लिया है, जिनकी कुल कीमत 3,083 करोड़ रुपये से अधिक है। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत एक मामले के संदर्भ में की गई है। 
  हालिया जानकारी के अनुसार, ED द्वारा ज़ब्त की गई संपत्तियों में से 30 रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की हैं, जबकि पांच संपत्तियाँ आधार प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी प्राइवेट लिमिटेड की, चार मोहनबीर हाई-टेक बिल्ड प्राइवेट लिमिटेड की, और एक-एक संपत्ति गेम्सा इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड, वीहान43 रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड और कैम्पियन प्रॉपर्टीज लिमिटेड की शामिल हैं। 
  ज़ब्त की गई संपत्तियों में मुंबई के बांद्रा पश्चिम में पाली हिल का एक आवासीय परिसर, दिल्ली के महाराजा रणजीत सिंह रोड पर स्थित रिलायंस सेंटर, और दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, पुणे, ठाणे, हैदराबाद, चेन्नई और आंध्र प्रदेश के ईस्ट गोदावरी में कई अन्य भूमि और भवन शामिल हैं। 
  ED के अनुसार, 2010-12 के बीच रिलायंस कम्युनिकेशंस और उसके समूह की विभिन्न कंपनियों ने भारतीय बैंकों से हजारों करोड़ रुपये का कर्ज लिया था, जिसमें से 19,694 करोड़ रुपये अब भी बकाया हैं। इनमें से कई कर्ज अब गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) बन चुके हैं और कुछ बैंकों ने इन्हें धोखाधड़ी खातों के रूप में वर्गीकृत किया है। 
  एजेंसी का आरोप है कि कंपनी समूह ने लगभग 13,600 करोड़ रुपये की राशि को इधर-उधर करके कर्ज चुकाने, संबंधित पक्षों को सौंपने और म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने के लिए इस्तेमाल किया। कुछ राशि विदेशों में भी ट्रांसफर की गई है। 
  
  2017 से 2019 के बीच यस बैंक ने भी RHFL और RCFL में लगभग 5,000 करोड़ रुपये का निवेश किया था। ये निवेश बाद में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) के रूप में दर्ज हुए, जिनमें से बड़े हिस्से की वसूली अब भी बाकी है। 
  एजेंसी ने यह भी बताया कि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड से जुड़ी 40 करोड़ रुपये की राशि जयपुर-रींगस हाईवे प्रोजेक्ट से फर्जी कंपनियों के माध्यम से दुबई भेजी गई, जिसके बाद एक बड़े अंतरराष्ट्रीय हवाला नेटवर्क का पता चला है, जिसकी राशि 600 करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है। 
  
  ED की इस कार्रवाई ने पूरे वित्तीय क्षेत्र में हलचल पैदा कर दी है और आगे की जांच जारी है, जिसके बाद कई और खुलासे होने की संभावना है।