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भारतीय सेना की नई रणनीति: 'कोल्ड स्ट्राइक' मॉडल का उदय

भारतीय सेना ने हाल ही में त्रिशूल युद्धाभ्यास के दौरान रुद्र ऑल-आर्म्स ब्रिगेड की सफलता के साथ 'कोल्ड स्टार्ट' को 'कोल्ड स्ट्राइक' में बदलने की योजना बनाई है। यह बदलाव न केवल सेना की सामरिक क्षमताओं को बढ़ाएगा, बल्कि भविष्य की युद्ध स्थितियों के लिए एक नई दिशा भी प्रदान करेगा। जनरल धीरज सेठ के अनुसार, यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो भारतीय सेना को तेज़ और प्रभावी बनाने में मदद करेगा। जानें इस नई रणनीति के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

भारतीय सेना की नई दिशा

हाल ही में संपन्न त्रिशूल युद्धाभ्यास के दौरान, नवगठित रुद्र ऑल-आर्म्स ब्रिगेड की अभूतपूर्व सफलता ने भारतीय सेना के सामरिक दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाया है। सेना अब अपने पारंपरिक 'कोल्ड स्टार्ट' सिद्धांत को एक नए और प्रभावी 'कोल्ड स्ट्राइक' मॉडल में परिवर्तित करने की योजना बना रही है, जो शत्रु-क्षेत्र में तीव्र और निर्णायक प्रहार की क्षमता प्रदान करेगा।


रुद्र ब्रिगेड की सफलता

दक्षिणी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने 'त्रिशूल' अभ्यास के अंतर्गत 'अखंड प्रहार' की समीक्षा करते हुए कहा कि रुद्र ब्रिगेड ने सभी लड़ाकू अंगों के एकीकृत प्रयोग के साथ अपनी क्षमताओं को सिद्ध किया है। उनका यह बयान भारतीय सेना की भविष्य की रणनीतिक सोच को भी दर्शाता है। जनरल सेठ ने कहा, "अब समय आ गया है कि कोल्ड स्टार्ट को कोल्ड स्ट्राइक में बदल दिया जाए।"


कोल्ड स्ट्राइक की अवधारणा

यह घोषणा भारतीय सेना की बढ़ती क्षमताओं और बदलते सुरक्षा परिदृश्य के प्रति उसकी तत्परता का संकेत है। 'कोल्ड स्ट्राइक' की अवधारणा अचानक नहीं आई है; यह 2001 में संसद पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा अपनाए गए ऑपरेशन पराक्रम के अनुभव से विकसित हुई है।


सैन्य तकनीक में बदलाव

समय के साथ, सैन्य तकनीक में बदलाव आया है और शत्रु का चरित्र भी बदला है। आधुनिक युद्धक्षेत्र में नेटवर्क-सेंट्रिक और तेज़-प्रतिक्रिया वाली संयुक्त ऑपरेशनों की आवश्यकता बढ़ गई है। 'कोल्ड स्ट्राइक' इस नए परिवेश में एक स्वाभाविक विकास है, जो तेज़ी और समेकित प्रहार क्षमता का प्रतीक है।


रुद्र ब्रिगेड का गठन

भारतीय सेना, जिसमें 11.5 लाख सैनिक हैं, अब 250 से अधिक पारंपरिक 'सिंगल-आर्म' ब्रिगेडों को आधुनिक 'रुद्र ऑल-आर्म्स ब्रिगेडों' में बदलने की प्रक्रिया में है। हर रुद्र ब्रिगेड में विभिन्न इकाइयाँ शामिल होंगी, जो युद्धक-समर्थन और रसद तंत्र के साथ एकीकृत होंगी।


चीन सीमा पर तैनाती

चीन सीमा पर लद्दाख और सिक्किम में दो रुद्र ब्रिगेड पहले से कार्यशील हैं। इनकी तैनाती न केवल सामरिक प्रतिरोध सुनिश्चित करती है, बल्कि यह दर्शाती है कि भारतीय सेना अब हर मोर्चे पर तेज़-प्रतिक्रिया तकनीकों से लैस हो रही है।


त्रिशूल अभ्यास की विशेषताएँ

त्रिशूल युद्धाभ्यास के दौरान 12 'कोणार्क' कोर ने रुद्र ब्रिगेड 'ब्लैक मेस' को जिस तरह से तैनात किया, वह भारतीय सैन्य कौशल का एक अद्वितीय उदाहरण है। इस अभ्यास में भूमि-आधारित युद्ध कौशल के साथ-साथ हेलिबॉर्न ऑपरेशन, मैकेनाइज़्ड इन्फैंट्री की गतिशीलता, और विशेष बलों के ऑपरेशन शामिल थे।


सामरिक आत्मनिर्भरता का संकेत

'कोल्ड स्ट्राइक' का सिद्धांत केवल एक सैन्य रणनीति नहीं है, बल्कि यह भारत की सामरिक आत्मनिर्भरता और सुरक्षा दृष्टि के परिपक्व होने का संकेत है। रुद्र ब्रिगेडों के गठन से भारतीय सेना अब बहु-आयामी अभियानों और नेटवर्क-सक्षम युद्ध में अधिक सक्षम हो रही है।


भारतीय सैनिकों की शक्ति

भारतीय सेना की असली शक्ति उसके जवानों के साहस, अनुशासन और देशभक्ति में निहित है। चाहे करगिल की ऊँचाइयाँ हों या लद्दाख की बर्फीली सीमाएँ, भारतीय सैनिक हर परिस्थिति में साहस का परिचय देते हैं।


भविष्य की रणनीति

रुद्र ब्रिगेडों का उभार और 'कोल्ड स्ट्राइक' का प्रस्ताव भारतीय सेना के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह एक दूरदर्शी रणनीति है, जो तेज़, लचीली और प्रभावी सैन्य शक्ति का निर्माण करती है।