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तकनीक का युद्ध में बढ़ता प्रभाव: जनरल अनिल चौहान का दृष्टिकोण

जनरल अनिल चौहान ने हाल ही में एक बयान में बताया कि आधुनिक युद्ध में तकनीक का महत्व भूगोल पर बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि युद्ध की रणनीतियाँ अब तकनीकी विकास से प्रभावित हो रही हैं, जो पहले भूगोल पर निर्भर थीं। जनरल चौहान ने बारूद के आविष्कार से लेकर द्वितीय विश्व युद्ध की रणनीतियों तक के उदाहरण दिए, यह दर्शाते हुए कि कैसे तकनीक ने युद्ध के परिणामों को बदल दिया है। इस विषय पर उनका विश्लेषण महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भविष्य के युद्धों की रणनीतियों को प्रभावित कर सकता है।
 

तकनीक और भूगोल का युद्ध में महत्व

जनरल अनिल चौहान, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, ने मंगलवार को बताया कि आधुनिक युद्ध की रणनीतियों में तकनीक का महत्व भूगोल पर बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि युद्ध के परिणाम मुख्य रूप से रणनीति पर निर्भर करते हैं, जो पहले भूगोल से प्रभावित होते थे, लेकिन अब यह बदल रहा है। जनरल चौहान ने स्पष्ट किया कि युद्ध की सफलता रणनीति पर निर्भर करती है।


उन्होंने यह भी बताया कि अतीत में रणनीतियाँ भूगोल से निकाली जाती थीं, लेकिन अब तकनीक का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। जनरल चौहान ने उन भौगोलिक तत्वों का उल्लेख किया जो पहले युद्ध के परिणाम को प्रभावित करते थे, जैसे ऊँची ज़मीन, इलाके की उपयुक्तता, और महासागरों का महत्व।


उन्होंने कहा कि ऊँची ज़मीन की निगरानी और रक्षा के लिए महत्व, भूभाग की उपयुक्तता, गति, और हमले की दिशा जैसे कारक भूगोल पर आधारित थे, जो युद्ध में जीत के लिए महत्वपूर्ण थे।


जनरल चौहान ने बारूद के आविष्कार का भी उल्लेख किया, जो आधुनिक युद्ध की रणनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। उन्होंने कहा कि बारूद के आने के बाद तकनीक ने युद्ध के परिणामों को प्रभावित करना शुरू किया।


उन्होंने बताया कि बारूद से लेकर टेलीग्राफ, टैंक, विमान और परमाणु हथियारों के विकास ने रणनीति और कार्यनीति को बदल दिया।


इसके बाद, जनरल चौहान ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मन सेना द्वारा अपनाई गई 'ब्लिट्जक्रेग' रणनीति पर चर्चा की, यह बताते हुए कि यह तकनीक की शक्ति थी जिसने भूगोल को मात दी।