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CJI गवई ने सोशल मीडिया पर जजों से बातचीत के लिए कान में कहने की सलाह दी

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने सोशल मीडिया के प्रभाव को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक सुनवाई के दौरान जजों से कान में बात करने की सलाह दी। यह टिप्पणी उस समय आई जब एक वकील ने सीजेआई की ओर जूता फेंकने का प्रयास किया। जानें इस घटना के पीछे की वजह और वकील की प्रतिक्रिया।
 

CJI गवई का सोशल मीडिया पर ध्यान

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई सोशल मीडिया के प्रभाव को लेकर सतर्क हैं। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक सुनवाई के दौरान, उन्होंने अपने सहकर्मी जज से सीधे बातचीत करने के बजाय कान में अपनी बात कहने का अनुरोध किया। यह टिप्पणी उस समय आई जब एक दिन पहले अदालत परिसर में एक वकील ने सीजेआई की ओर जूता फेंकने का प्रयास किया था।


जूता फेंकने की घटना

सोमवार को 72 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने सीजेआई पर जूता फेंकने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा गार्डों ने तुरंत उन्हें रोक लिया। बाद में, सीजेआई ने स्पष्ट किया कि उन्हें इस घटना से कोई फर्क नहीं पड़ा और वकील को जाने दिया गया। दिल्ली पुलिस ने भी पूछताछ के बाद वकील को छोड़ दिया।


जूता फेंकने के पीछे की वजह

इस हमले के बाद, वकील ने कई कारण बताए। किशोर ने कहा कि वह भगवान विष्णु की प्रतिमा से संबंधित जनहित याचिका पर सीजेआई की टिप्पणियों से आहत थे। इसके अलावा, उन्होंने सीजेआई गवई द्वारा बुलडोजर कार्रवाई पर की गई टिप्पणियों पर भी आपत्ति जताई। उनका कहना था कि अवैध कब्जे वालों के खिलाफ कार्रवाई करना गलत नहीं है।


माफी नहीं मांगेंगे

किशोर ने कहा, 'मैं हिंसा के खिलाफ हूं, लेकिन एक सच्चे व्यक्ति को ऐसा क्यों करना पड़ा, यह सोचने वाली बात है।' उन्होंने यह भी कहा कि वह पढ़े-लिखे हैं और गोल्ड मेडलिस्ट हैं। उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया को सही ठहराते हुए कहा कि उन्हें किसी बात का डर नहीं है और न ही उन्हें किसी बात का पछतावा है।