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CBI ने CGST असिस्टेंट कमिश्नर राठी राम मीणा के खिलाफ FIR दर्ज की

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने जयपुर के CGST असिस्टेंट कमिश्नर राठी राम मीणा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर करोड़ों रुपये की संपत्ति अवैध रूप से अर्जित की। CBI अब उनकी संपत्तियों की जांच कर रही है, जिसमें कई फर्में और लग्जरी गाड़ियां शामिल हैं। व्यापारियों से रिश्वत मांगने के आरोप भी सामने आए हैं। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और सीबीआई की कार्रवाई के बारे में।
 

सीबीआई की कार्रवाई

सीबीआई ने असिस्टेंट कमिश्नर के खिलाफ FIR दर्ज की है।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने जयपुर में सीजीएसटी के असिस्टेंट कमिश्नर राठी राम मीणा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में FIR दर्ज की है। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए करोड़ों रुपये की संपत्ति अवैध रूप से अर्जित की है। CBI अब मीणा की सभी संपत्तियों के दस्तावेजों की गहन जांच कर रही है। पिछले वर्ष, CBI ने अहमदाबाद में एक डिप्टी कमिश्नर को 1.8 करोड़ रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था।

CBI के अनुसार, राठी राम मीणा ने अगस्त 2018 से अगस्त 2025 के बीच जयपुर और अहमदाबाद में तैनाती के दौरान अपने और परिवार के नाम पर लगभग 2.54 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति बनाई है, जो उनकी ज्ञात आय से लगभग दोगुनी है। जांच में यह भी सामने आया है कि मीणा के परिवार के नाम पर कई कंपनियां और फर्में हैं, जिनका उपयोग उन्होंने काले धन को छिपाने के लिए किया।

छापेमारी की कार्रवाई

सीबीआई ने जयपुर, अंकलेश्वर और अहमदाबाद में छापेमारी की, जहां से लगभग 35 लाख रुपये के सोने-चांदी के गहने बरामद हुए। इसके अलावा, परिवार के नाम पर कई अचल संपत्तियां, लग्जरी गाड़ियां जैसे पोर्शे और जीप कम्पास, और दो बैंक लॉकर भी मिले हैं। असिस्टेंट कमिश्नर पर आरोप है कि उन्होंने टैक्स मामलों में रिश्वत लेकर संपत्ति बनाई। जांच में यह भी पता चला है कि फर्मों के माध्यम से पैसे का लेन-देन किया गया है। कई व्यापारियों ने असिस्टेंट कमिश्नर के खिलाफ रिश्वत मांगने की शिकायत की थी।

व्यापारियों से रिश्वत की मांग

सूत्रों के अनुसार, असिस्टेंट कमिश्नर व्यापारियों से फाइल क्लियर करने के लिए बड़ी रकम मांगता था। इस प्रक्रिया में विभाग के अन्य अधिकारी भी शामिल होते थे। एक व्यापारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि जीएसटी रिफंड में देरी कर रिश्वत ली जाती थी। इस तरह से कई व्यापारियों से डराकर पैसे लिए गए हैं।

सीबीआई की कार्रवाई से राहत

व्यापारियों का कहना है कि सीबीआई की कार्रवाई से उन्हें राहत मिली है। सीबीआई ने जब्त किए गए दस्तावेजों में पाया कि असिस्टेंट कमिश्नर के परिवार के नाम पर दर्ज फर्मों का कोई वास्तविक कारोबार नहीं था, बल्कि ये केवल कागजों पर ही थीं। 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से कई अधिकारी जांच के दायरे में हैं।