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ABVP की हैदराबाद यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव में ऐतिहासिक जीत

हैदराबाद यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव में ABVP ने सभी छह सीटों पर जीत हासिल कर AIMIM को हराया है। यह जीत ओवैसी के लिए बड़ा झटका है और बीजेपी के लिए दक्षिण भारत में प्रभाव बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर बन सकती है। जानें इस चुनाव के परिणामों का क्या महत्व है और ABVP की वापसी के पीछे की कहानी।
 

ABVP ने AIMIM को हराया

ABVP ने सभी छह सीटों पर जीत हासिल कर AIMIM को पूरी तरह से हराया है.Image Credit source: X/@ABVPVoice


हैदराबाद में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के गढ़ में ABVP ने एक महत्वपूर्ण जीत दर्ज की है। हैदराबाद यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव में ABVP ने सभी छह सीटों पर कब्जा कर लिया है। यह जीत ओवैसी के लिए एक बड़ा झटका मानी जा रही है। इस चुनाव में ABVP की जीत से ओवैसी की राजनीतिक स्थिति पर असर पड़ सकता है। ABVP, जो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का छात्र संगठन है, ने यह जीत हासिल की है।


चलिए जानते हैं कि ABVP ने कितने समय बाद हैदराबाद यूनिवर्सिटी छात्रसंघ में वापसी की है और इसका क्या महत्व है।


ABVP की जीत का तरीका

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने हैदराबाद यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव में एक शानदार जीत हासिल की है। ABVP ने सेवालाल विद्यार्थी परिषद के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और सभी छह सीटों पर जीत हासिल की। यह जीत तेलंगाना में कांग्रेस सरकार के शासन के दौरान हुई है, इसलिए इसे विशेष महत्व दिया जा रहा है।


चुनाव में गठबंधन के उम्मीदवार शिव पालेपु ने छात्रसंघ के अध्यक्ष पद के लिए अनन्या दास को हराया। इस जीत के साथ, ABVP ने यूनिवर्सिटी में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। चुनाव के परिणाम हाल ही में घोषित हुए, जिसमें ABVP और उसके सहयोगी संगठन की जीत स्पष्ट रूप से दिखाई दी।


7 साल बाद ABVP की वापसी

हैदराबाद यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव में ABVP की 7 साल बाद वापसी हुई है। यह वापसी बीजेपी के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह छात्रसंघ बीजेपी के लिए दक्षिण भारत में प्रवेश का एक महत्वपूर्ण द्वार बन सकता है। बीजेपी लंबे समय से दक्षिण भारत में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है।


विशेषज्ञों का कहना है कि हैदराबाद यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव के परिणाम आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की राजनीति पर प्रभाव डाल सकते हैं। यदि इन राज्यों में बीजेपी को सफलता मिलती है, तो कर्नाटक में वापसी और तमिलनाडु में प्रवेश आसान हो सकता है।