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91 वर्षीय बाबा की संतरे की गोलियों की कहानी: बचपन की यादें ताजा करती हैं

ग्वालियर के 91 वर्षीय मूलचंद्र सोनी की कहानी सुनिए, जो आज भी संतरे की गोलियां बेचते हैं। उनका यह व्यवसाय केवल पैसे कमाने का जरिया नहीं, बल्कि प्यार और स्नेह का प्रतीक है। वह उन लड़कियों की शादियों में भी जाते हैं, जिन्होंने कभी उनकी गोलियां खरीदी थीं। जानें कैसे उन्होंने अपने जीवन में इज्जत और प्यार कमाया है।
 

संतरे की गोलियों का जादू


किसी ने सही कहा है, 'ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो, भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी…'। यह पंक्ति हमें हमारे बचपन की याद दिलाती है। हर कोई अपने बचपन के सुनहरे दिनों को याद करता है। आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपके बचपन की यादों को ताजा कर देगा। हम बात कर रहे हैं संतरे की गोलियों के बाबा की, जिनकी गोलियों का स्वाद आज भी लोगों की जुबां पर है।


ग्वालियर, मध्य प्रदेश के 91 वर्षीय मूलचंद्र सोनी ने कई साल पहले संतरे की गोलियों का व्यवसाय शुरू किया था। आज भी, जब समय बदल चुका है, वह अपने व्यवसाय को जारी रखे हुए हैं। उनके द्वारा बेची जाने वाली ये खट्टी-मीठी गोलियां आज भी बच्चों और बड़ों के बीच लोकप्रिय हैं।


मूलचंद्र सोनी का यह व्यवसाय केवल पैसे कमाने का जरिया नहीं है, बल्कि यह उनके लिए एक स्नेह और प्यार का प्रतीक है। वह उन लड़कियों की शादियों में भी जाते हैं, जिन्होंने कभी उनकी गोलियां खरीदी थीं। हर शादी में वह एक साड़ी लेकर आशीर्वाद देने जाते हैं।


बाबा ने कभी शादी नहीं की, लेकिन उनके लिए ये बच्चियां उनकी बेटियों की तरह हैं। उन्होंने अपने जीवन में बहुत पैसे नहीं कमाए, लेकिन इज्जत और प्यार कमाया है। इसलिए, वह अंबानी जैसे बड़े बिजनेसमैन से भी बड़े हैं।