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91 वर्षीय ऑस्ट्रेलियाई नागरिक का भारत में अंतिम संस्कार

91 वर्षीय डोनाल्ड सैम्स, जो ऑस्ट्रेलिया के निवासी थे, ने अपनी मृत्यु के बाद भारत में दफन होने की इच्छा व्यक्त की थी। उनकी यह इच्छा पूरी हुई जब उन्हें मुंगेर में अंतिम संस्कार किया गया। जानें उनकी जीवन यात्रा और भारत के प्रति उनके प्रेम की कहानी।
 

भारत में अंतिम इच्छा का सम्मान


मुंगेर. 91 वर्षीय डोनाल्ड सैम्स, जो ऑस्ट्रेलिया के सिडनी के निवासी थे, ने अपनी मृत्यु के बाद भारत में दफन होने की इच्छा व्यक्त की थी। उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों के सामने यह इच्छा जाहिर की थी कि उनकी अंतिम यात्रा भारत के किसी ईसाई कब्रिस्तान में हो।


उन्होंने अपनी वसीयत में भी इस बात को स्पष्ट किया था। जब वह भारत की 12वीं यात्रा पर थे, तब उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। बताया गया है कि वह गंगा के रास्ते मुंगेर की ओर एक क्रूज में यात्रा कर रहे थे, तभी उनकी तबीयत खराब हुई। उन्हें मुंगेर के नेशनल अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।


मौत की सूचना जिला प्रशासन ने भारतीय दूतावास को दी। इसके बाद, ऑस्ट्रेलियाई दूतावास और उनकी पत्नी एलेस की सहमति से मुंगेर में ही दफनाने का निर्णय लिया गया।


डीएम के आदेश पर मजिस्ट्रेट की नियुक्ति की गई, लेकिन पत्नी के अनुरोध पर बिना पोस्टमार्टम के ही चर्च के पादरी की सहायता से अंतिम संस्कार किया गया। मुंगेर के डीएम अवनीश कुमार सिंह ने बताया कि दूतावास के निर्देश पर अंतिम संस्कार की व्यवस्था की गई। एलेस के अनुरोध पर डोनाल्ड सैम्स का अंतिम संस्कार चुरंबा स्थित ईसाई कब्रिस्तान में किया गया।



डोनाल्ड सैम्स को उनकी पत्नी और परिचितों के समक्ष चुरंबा के ईसाई कब्रिस्तान में दफनाया गया। उनके पिता ब्रिटिश फौज में भारत में कार्यरत थे और उनकी भी इच्छा भारत में दफन होने की थी।


डोनाल्ड सैम्स की भारत के प्रति विशेष लगाव
मृतक के दोस्तों ने बताया कि डोनाल्ड सैम्स ऑस्ट्रेलियाई हाईकमान के रिटायर्ड अधिकारी थे। उनकी पत्नी एलेस ने बताया कि डोनाल्ड के पिता ब्रिटिश शासन के दौरान असम में कार्यरत थे। अपने पिता की याद को ताजा रखने के लिए, डोनाल्ड हर बार भारत आने पर असम जरूर जाते थे। यह उनकी 12वीं यात्रा थी, जिसमें वे गंगा के रास्ते कोलकाता से पटना तक यात्रा करते थे। डोनाल्ड को भारत से इतना प्रेम था कि उन्होंने अपनी वसीयत में यह स्पष्ट कर दिया था कि उनकी अंतिम यात्रा भारत में होनी चाहिए।