7वें वेतन आयोग के 10 साल: सैलरी में हुई वृद्धि का विश्लेषण
7वें वेतन आयोग का महत्व
7वां वेतन आयोग
केंद्रीय कर्मचारियों के लिए वर्ष 2025 महत्वपूर्ण है, क्योंकि 31 दिसंबर को 7वां वेतन आयोग अपने 10 साल पूरे कर रहा है। इस अवसर पर एक पूरा वेतन चक्र समाप्त होने जा रहा है। 1 जनवरी 2016 से लागू हुए इस आयोग ने कर्मचारियों की सैलरी, भत्तों और वेतन निर्धारण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव किए थे। अब जब 8वें वेतन आयोग की चर्चा हो रही है, यह जानना आवश्यक है कि पिछले 10 वर्षों में सैलरी में कितनी वृद्धि हुई है।
फिटमेंट फैक्टर का प्रभाव
7वें वेतन आयोग की सबसे बड़ी विशेषता फिटमेंट फैक्टर था, जिसे सरकार ने 2.57 निर्धारित किया। इसका अर्थ है कि 6वें वेतन आयोग की बेसिक सैलरी को 2.57 से गुणा करके नई बेसिक तय की गई। इसके साथ ही ग्रेड पे प्रणाली को समाप्त कर दिया गया और उसकी जगह पे मैट्रिक्स को लागू किया गया। इस नई व्यवस्था में हर स्तर और चरण स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगे, जिससे कर्मचारियों को अपनी सैलरी की वृद्धि को समझना आसान हो गया।
6वें वेतन आयोग के अंत में सैलरी
जब 31 दिसंबर 2015 को 6वां वेतन आयोग समाप्त हुआ, उस समय महंगाई अपने उच्चतम स्तर पर थी। इसका प्रभाव महंगाई भत्ते (DA) पर स्पष्ट था। लेवल-1 के कर्मचारियों की स्थिति उस समय कुछ इस प्रकार थी: बेसिक पे 7,000 रुपये और ग्रेड पे 1,800 रुपये, जिससे कुल बेसिक 8,800 रुपये बनती थी। उस पर DA 119 प्रतिशत तक पहुंच चुका था, जो लगभग 10,400 रुपये के आसपास था। बड़े शहरों में रहने वाले कर्मचारियों को HRA के रूप में लगभग 2,600 रुपये मिलते थे। इन सभी को जोड़ने पर कुल सैलरी लगभग 21,800 से 22,000 रुपये तक पहुंच जाती थी।
7वें वेतन आयोग में सैलरी में बदलाव
1 जनवरी 2016 से लागू हुए 7वें वेतन आयोग में DA को फिर से शून्य से शुरू किया गया, लेकिन इसके बदले बेसिक पे में बड़ी वृद्धि की गई। लेवल-1 कर्मचारी की बेसिक सीधे बढ़ाकर 18,000 रुपये कर दी गई। ग्रेड पे का झंझट समाप्त हो गया और अब पूरी सैलरी पे मैट्रिक्स के अनुसार निर्धारित होने लगी। उस समय कर्मचारियों को लगा कि सैलरी उतनी नहीं बढ़ी, जितनी अपेक्षित थी, क्योंकि DA फिर से जीरो पर आ गया था।
10 साल बाद की सैलरी का विश्लेषण
अब जब 7वें वेतन आयोग को लागू हुए लगभग 10 साल हो चुके हैं, DA फिर से बढ़कर लगभग 58 प्रतिशत तक पहुंच गया है। 18,000 रुपये की बेसिक पर यह DA लगभग 10,400 रुपये बनता है, जो लगभग वही राशि है जो 6वें वेतन आयोग के अंत में मिल रही थी। वहीं, HRA में भी बड़ा बदलाव आया है। X श्रेणी के शहरों में HRA अब 5,400 रुपये तक पहुंच चुका है। इस प्रकार, आज लेवल-1 कर्मचारी की कुल सैलरी, अन्य भत्तों को छोड़कर, लगभग 33,500 से 34,000 रुपये के आसपास पहुंच गई है।
10 साल में सैलरी में वृद्धि
यदि हम आंकड़ों को सीधे देखें, तो स्पष्ट हो जाता है कि बेसिक पे 8,800 रुपये से बढ़कर 18,000 रुपये हो गई है, यानी यह दो गुना से भी अधिक हो गई है। DA की राशि तब भी लगभग 10,400 रुपये थी और आज भी लगभग उतनी ही है, फर्क केवल प्रतिशत का है। HRA पहले के मुकाबले लगभग दोगुना हो चुका है, जिससे टेक-होम सैलरी को अच्छा सहारा मिला है। कुल मिलाकर, जहां 10 साल पहले सैलरी लगभग 22,000 रुपये थी, वहीं आज यह बढ़कर लगभग 34,000 रुपये तक पहुंच चुकी है। यानी कुल मिलाकर लगभग 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
8वें वेतन आयोग से अपेक्षाएं
पिछले 10 वर्षों में सैलरी में वृद्धि हुई है, लेकिन इस वृद्धि का बड़ा हिस्सा DA से आया है। बेसिक पे 2016 से अब तक जस की तस है। महंगाई लगातार बढ़ रही है, लेकिन सैलरी का मूल आधार नहीं बढ़ा है। यही कारण है कि कर्मचारी संगठन अब केवल DA वृद्धि से संतुष्ट नहीं हैं। उन्हें 8वें वेतन आयोग से अधिक फिटमेंट फैक्टर, ऊंची न्यूनतम बेसिक पे और नई सैलरी संरचना की उम्मीद है। कर्मचारियों के लिए अगला वेतन आयोग अब केवल राहत नहीं, बल्कि एक आवश्यकता बन चुका है।
अतिरिक्त जानकारी
यह भी पढ़ें- रेलवे सेफ्टी पर रिकॉर्ड खर्च की तैयारी, कवच से जुड़े 3 शेयरों पर रखें नजर