40 की उम्र में IAS बनीं निसा उन्नीराजन की प्रेरणादायक कहानी
सपनों की कोई उम्र नहीं होती
यूपीएससी (फाइल फोटो)
केरल की निसा उन्नीराजन ने साबित किया है कि सपनों की कोई उम्र नहीं होती। दो बेटियों की मां और नौकरी करने वाली निसा ने 40 वर्ष की आयु में यूपीएससी जैसी चुनौतीपूर्ण परीक्षा को पास किया। सुनने में समस्या होने के बावजूद, उन्होंने कभी हार नहीं मानी। सात प्रयासों के बाद, उन्होंने अखिल भारतीय स्तर पर 1000वीं रैंक प्राप्त की। उनकी कहानी यह दर्शाती है कि दृढ़ संकल्प और परिवार के सहयोग से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
जिम्मेदारियों के बीच नया सफर
निसा की जिंदगी साधारण नहीं थी। वह एक मां, पत्नी और कामकाजी महिला थीं। दिनभर घर और दफ्तर की जिम्मेदारियों में व्यस्त रहने के बावजूद, उन्होंने अपने सपने को नहीं छोड़ा। परिवार और काम के बीच, रात में यूपीएससी की तैयारी करना उनकी दिनचर्या बन गया। उन्होंने यूपीएससी के विशाल पाठ्यक्रम को छोटे हिस्सों में बांटकर खुद के नोट्स से अध्ययन किया। प्रेरणा के लिए, वह अक्सर सफल उम्मीदवारों की कहानियां पढ़ती थीं।
सात प्रयासों में मिली सफलता
निसा की यात्रा कठिनाइयों से भरी थी। सुनने में गंभीर समस्या होने के बावजूद, उन्होंने इसे कमजोरी नहीं माना, बल्कि प्रेरणा का स्रोत बनाया। कोट्टायम के सब-कलेक्टर रंजीत से प्रेरित होकर, उन्होंने खुद पर विश्वास बनाए रखा। उनके पति अरुण और ससुराल वालों ने हर कदम पर उनका साथ दिया, घर की जिम्मेदारियों को साझा किया और उनका हौसला बढ़ाया।
आखिरकार, सातवें प्रयास में निसा ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास की और 1000वीं रैंक हासिल की। आज वह तिरुवनंतपुरम में सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं। निसा की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो सोचते हैं कि अब देर हो चुकी है। उन्होंने यह साबित किया कि सपनों की कोई उम्र नहीं होती।
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