2026 में भारत के टैक्स सिस्टम में महत्वपूर्ण परिवर्तन
नए साल में टैक्स प्रणाली में बदलाव
नई दिल्ली, 30 दिसंबर 2025: नए वर्ष में भारत के टैक्स सिस्टम में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन होने जा रहे हैं। सरकार ने सिगरेट और पान मसाला जैसे 'सिन गुड्स' पर अतिरिक्त टैक्स लगाने की योजना बनाई है, जिससे राजस्व को बनाए रखा जा सके और इन उत्पादों की खपत को कम किया जा सके। हालांकि, GST दरों में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं होगा, और कस्टम ड्यूटी सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। ये बदलाव आम नागरिकों के लिए टैक्स को सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
सिगरेट और पान मसाला पर टैक्स में वृद्धि
2026 में सिगरेट पर अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी लागू की जाएगी, जबकि पान मसाला पर नया 'हेल्थ एंड नेशनल सिक्योरिटी सेस' लागू होगा। ये टैक्स मौजूदा GST के अलावा होंगे। इसका मुख्य कारण GST कंपनसेशन सेस का 31 मार्च 2026 को समाप्त होना है। सरकार नहीं चाहती कि इन उत्पादों पर कुल टैक्स बोझ कम हो, क्योंकि ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं और राजस्व का बड़ा स्रोत हैं।
GST दरों में स्थिरता
2026 GST 2.0 का पहला पूरा वर्ष होगा, जो सितंबर 2025 से लागू हुआ। इस सुधार में लगभग 375 वस्तुओं पर टैक्स कम किया गया था, और अब अधिकांश सामान पर GST 5% या 18% ही है। तंबाकू जैसे सिन गुड्स पर 40% स्लैब लागू होगा, लेकिन कंपनसेशन सेस समाप्त होने के बाद। सरकार ने स्पष्ट किया है कि 2026 में GST दरों में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा, ताकि सिस्टम स्थिर रहे और विवाद कम हों।
कस्टम ड्यूटी सुधारों पर ध्यान
GST और इनकम टैक्स सुधारों के बाद, अब सरकार का ध्यान कस्टम ड्यूटी पर है। बजट 2025-26 में टैरिफ स्लैब की संख्या घटाकर 8 कर दी गई थी। अब फेसलेस असेसमेंट, डिजिटल प्रोसेस और ड्यूटी इनवर्शन सुधार पर तेजी से काम किया जाएगा। इससे आयात-निर्यात को आसान, पारदर्शी और तेज बनाया जाएगा। कुछ क्षेत्रों में ड्यूटी बढ़ाई जा सकती है ताकि घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिले और व्यापार घाटा कम हो।
आम नागरिकों के लिए लाभ
ये नए नियम टैक्स को समझने में सरलता लाएंगे, विवाद और झगड़े कम करेंगे। डिजिटल तरीके से टैक्स भरने में समय और पैसे की बचत होगी। कुल मिलाकर, 2026 का टैक्स सिस्टम आम करदाताओं के लिए अधिक सुविधाजनक और पारदर्शी होगा।
सरकार का लक्ष्य
सरकार का उद्देश्य राजस्व बढ़ाना, स्वास्थ्य सुरक्षा और आर्थिक विकास को संतुलित करना है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये बदलाव भारत को एक मजबूत अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करेंगे।