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20 वर्षों तक कैद रहे भाई-बहन का दिल दहला देने वाला मामला

अंबाला कैंट से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक भाई और बहन पिछले 20 वर्षों से मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के कारण एक घर में बंद थे। हाल ही में एक NGO ने उनकी स्थिति का पता लगाया और उन्हें रेस्क्यू किया। यह कहानी न केवल उनकी कठिनाइयों को उजागर करती है, बल्कि समाज में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर भी ध्यान आकर्षित करती है। जानें इस दिल दहला देने वाली घटना के बारे में और कैसे इनकी जिंदगी में बदलाव आया।
 

अंबाला में मानसिक रूप से बीमार भाई-बहन की कहानी

Brother and sister were ‘imprisoned’ in the house for 20 years, the story came out after the rescue


अंबाला कैंट से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक भाई और बहन पिछले 20 वर्षों से एक घर में बंद थे। बताया जा रहा है कि दोनों मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त हैं और उन्होंने खुद को इस स्थिति में रखा था। हाल ही में एक गैर सरकारी संगठन (NGO) को इस बारे में जानकारी मिली, जिसके बाद दोनों का रेस्क्यू किया गया और उन्हें लुधियाना में इलाज के लिए भेजा गया।


यह मामला अंबाला कैंट के बोह गांव का है, जहां भाई-बहन एक सुनसान घर में कैद थे। गांव के निवासियों ने लुधियाना की NGO ‘मनुखता दी सेवा’ को वीडियो भेजकर इस स्थिति की जानकारी दी। इसके बाद NGO ने ‘वंदे मातरम दल’ नामक एक अन्य सामाजिक समूह के साथ मिलकर अंबाला पहुंचकर भाई-बहन का रेस्क्यू किया।


भाई-बहन की पहचान अनिल कुमार और इंदु रानी के रूप में हुई है। दोनों ने पिछले दो दशकों से कठिनाइयों भरा जीवन व्यतीत किया। पड़ोसियों द्वारा समय-समय पर उन्हें खाना दिया जाता था, जिससे वे जीवित रह सके।


अनिल और इंदु के पिता, सूरज प्रकाश शर्मा, एक आयुर्वेदिक चिकित्सक थे। पिता के निधन के बाद, अनिल, इंदु, उनकी एक अन्य बहन कुसुम और उनकी मां की मानसिक स्थिति बिगड़ गई, जिसके कारण चारों ने खुद को घर में बंद कर लिया। कुछ साल पहले कुसुम और उनकी मां का निधन हो गया, जबकि इंदु और अनिल अब भी घर में कैद थे।


इंदु ने ट्यूशन पढ़ाने का कार्य किया था, जबकि अनिल एक निजी कंपनी में काम करता था। अब, वे NGO द्वारा चलाए जा रहे सामुदायिक आवास ‘सुपने दा घर’ में अन्य बेघरों और अनाथ बच्चों के साथ रह रहे हैं। NGO के गुरप्रीत सिंह ने बताया कि जब अनिल और इंदु का रेस्क्यू किया गया, तब उनकी स्थिति बहुत खराब थी और वे चलने में भी असमर्थ थे।


मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इंदु ने बीएड और एमए की डिग्री प्राप्त की थी और वह घर पर ट्यूशन पढ़ाती थी, जबकि अनिल एक निजी कंपनी में कार्यरत था।