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10.6 किलोग्राम का ट्यूमर सफलतापूर्वक निकाला गया

वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग अस्पताल की टीम ने एक मरीज के पेट से 10.6 किलोग्राम का गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रोमल ट्यूमर सफलतापूर्वक निकाला। यह ट्यूमर कई आंतरिक अंगों पर दबाव डाल रहा था। सर्जरी के लिए उच्च स्तर की विशेषज्ञता की आवश्यकता थी, और निदेशक डॉ. संदीप बंसल ने इसे अस्पताल की सहयोगात्मक चिकित्सा पद्धति की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। सर्जरी के बाद, मरीज की देखभाल के लिए चिकित्सा कैंसर विज्ञान विभाग की टीम सक्रिय रूप से निगरानी कर रही है।
 

महत्वपूर्ण सर्जिकल सफलता

वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज (वीएमएमसी) और सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सकों की एक टीम ने एक मरीज के पेट से 10.6 किलोग्राम का गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रोमल ट्यूमर (जीआईएसटी) सफलतापूर्वक निकाला है। यह ट्यूमर कई आंतरिक अंगों पर अत्यधिक दबाव डाल रहा था। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रोमल ट्यूमर पाचन तंत्र में पाए जाने वाले दुर्लभ कैंसरयुक्त ट्यूमर हैं।


ट्यूमर की जटिलता

अस्पताल द्वारा जारी एक बयान में बताया गया है कि यह ट्यूमर मरीज के पेट और उसके आस-पास के अंगों के आवरण तक फैल चुका था। मरीज पिछले आठ महीनों से इस बीमारी से ग्रस्त था। इस सर्जिकल प्रक्रिया के लिए अत्यधिक विशेषज्ञता की आवश्यकता थी, क्योंकि इसे निकालना और सर्जरी के बाद मरीज की देखभाल करना बेहद चुनौतीपूर्ण था।


सर्जरी की जटिलता

डॉ. संदीप बंसल, वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग अस्पताल के निदेशक, ने कहा, 'यह सर्जरी अस्पताल में सहयोगात्मक चिकित्सा पद्धति की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।' उन्होंने आगे कहा, '10.6 किलोग्राम के इस विशाल ट्यूमर को निकालना जटिल था, क्योंकि इसमें कई अंग प्रणालियां शामिल थीं। सर्जरी की सफलता हमारी टीम की रोगी देखभाल और सर्जिकल नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।'


विशेषज्ञता की आवश्यकता

निदेशक ने बताया कि ऐसे जटिल मामलों में न केवल उन्नत सर्जिकल कौशल की आवश्यकता होती है, बल्कि विशेषज्ञ सर्जिकल टीम, कुशल एनेस्थेसियोलॉजिस्ट और समर्पित नर्सिंग स्टाफ के बीच बेहतर समन्वय भी आवश्यक है। अस्पताल ने यह भी कहा कि सर्जरी के बाद, चिकित्सा कैंसर विज्ञान विभाग की टीम मरीज के स्वास्थ्य की निगरानी कर रही है।