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पार्किंसन रोग: लक्षण, कारण और घरेलू उपचार

पार्किंसन रोग एक गंभीर स्थिति है जो शरीर में कंपन का कारण बनती है। यह आमतौर पर 50 वर्ष की उम्र के बाद होती है और इसके लक्षणों में हाथ-पैरों का कंपकंपाना शामिल है। इस रोग का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन दवाओं और कुछ घरेलू उपायों से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। जानें इसके लक्षण, कारण और कैसे आप अपनी जीवनशैली में बदलाव करके इस रोग का प्रबंधन कर सकते हैं।
 

पार्किंसन रोग की पहचान


पार्किंसन रोग (Parkinson's disease) एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में कंपन होता है। इस बीमारी से प्रभावित लोगों की संख्या विश्वभर में 60 लाख से अधिक है, जबकि अमेरिका में लगभग एक मिलियन लोग इससे ग्रसित हैं।


रोग के लक्षण और कारण

यह बीमारी आमतौर पर 50 वर्ष की आयु के बाद होती है। वृद्धावस्था में हाथ-पैरों का हिलना सामान्य हो सकता है, लेकिन यह पहचानना कि यह पार्किंसन है या उम्र का प्रभाव, कठिन हो सकता है। यदि पार्किंसन है, तो शरीर की गतिविधियाँ कम हो जाती हैं और मस्तिष्क सही तरीके से कार्य नहीं करता।


इस रोग का कारण मस्तिष्क के गहरे हिस्से में स्थित कोशिकाओं का क्षति होना है। बैसल गैंग्लिया में स्ट्रायटोनायग्रल कोशिकाएँ होती हैं, जिनकी क्षति से न्यूरोट्रांसमिटर्स का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे शरीर का संतुलन भी प्रभावित होता है।


उपचार और घरेलू उपाय

हालांकि इस रोग का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन दवाओं के माध्यम से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। एम्स में डीप ब्रेन स्टिमुलेशन सर्जरी का विकल्प भी उपलब्ध है।


पार्किंसन रोग में हाथ-पैरों का तेज़ी से कंपकंपाना आम है। कभी-कभी यह कंपन रुक जाता है, लेकिन जब रोगी कुछ लिखने या कार्य करने की कोशिश करता है, तो यह फिर से शुरू हो जाता है।


कुछ घरेलू उपायों में नींबू का रस पानी में मिलाकर पीना, बिना पका हुआ भोजन और फलों तथा सब्जियों का जूस शामिल हैं। सोयाबीन का दूध, हरी पत्तेदार सब्जियाँ और विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ भी फायदेमंद हो सकते हैं।


जीवनशैली में बदलाव

रोगियों को कॉफी, चाय, नशीली चीज़ें, नमक, चीनी और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि कॉफी पीने से इस बीमारी का खतरा 14 प्रतिशत तक कम हो सकता है।


सकारात्मक सोच और नियमित व्यायाम भी इस रोग के प्रबंधन में सहायक हो सकते हैं।