गर्भधारण में कठिनाई: कारण और उपचार के उपाय
गर्भधारण में कठिनाई
गर्भधारण में कठिनाई एक ऐसी समस्या है जो विवाहित जीवन को प्रभावित कर सकती है। नवविवाहित जोड़ों को समाज के तानों का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी मानसिक स्थिति पर असर पड़ता है।
आजकल की तेज़ रफ्तार जिंदगी, समय की कमी और सही खान-पान का ध्यान न रखना, ये सभी कारण हैं जो शादीशुदा जीवन में तनाव पैदा कर सकते हैं। इस लेख में हम गर्भधारण में कठिनाई के कारणों और उनके उपचार के तरीकों पर चर्चा करेंगे।
समस्याएँ
1. पुरुषों में शुक्राणुओं की कमी: इसका अर्थ है कि पुरुष में आवश्यक मात्रा में शुक्राणु नहीं होते, जिसे इनफरटिलिटी कहा जाता है। कभी-कभी शुक्राणु होते हैं, लेकिन वे स्त्री के अंडाणुओं तक नहीं पहुँच पाते।
2. उम्र: महिलाओं की उम्र 30 वर्ष या उससे अधिक होने पर गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है।
3. योनी का फैलाव: वीर्य का योनी से बाहर निकलना भी गर्भधारण में बाधा डालता है।
4. शीघ्रपतन: यदि पुरुष का वीर्य जल्दी निकल जाता है, तो गर्भधारण नहीं हो पाता।
5. दवाइयों का अत्यधिक सेवन: चिकित्सक की सलाह के बिना दवाइयों का उपयोग करना भी समस्या पैदा कर सकता है।
6. तनाव: मानसिक तनाव या डिप्रेशन भी गर्भधारण में रुकावट डाल सकता है।
7. लिंग का टेढ़ापन: यह भी एक कारण हो सकता है।
8. गर्भाशय नली का सूखना।
उपचार के उपाय
1. शीघ्रपतन के लिए, दूध में सोंठ उबालकर सोने से पहले पीना फायदेमंद हो सकता है।
2. लिंग के टेढ़ेपन को सुधारने के लिए, तिल के तेल में लहसुन पकाकर प्रतिदिन लिंग की मालिश करें।
3. मासिक धर्म में समस्या होने पर चावल और मछली का सेवन करें।
4. योनि के फैलाव को रोकने के लिए भांग के पत्तों को पीसकर एक पोटली बनाकर 20 दिनों तक रात में रखें।
5. गर्भ की स्थिरता के लिए शंख भस्म को गर्म दूध के साथ मिलाकर पीना लाभकारी हो सकता है।
6. यदि शुक्राणु कमजोर हैं, तो दूध में बकरे का अंडकोष पकाकर 21 दिनों तक पीना चाहिए।
इन उपायों को अपनाने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह लेना न भूलें।