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गठान और फोड़े-फुंसी के घरेलू उपचार: जानें रामबाण उपाय

इस लेख में हम गठान और फोड़े-फुंसी के लिए प्रभावी घरेलू उपायों के बारे में जानेंगे। शरीर में किसी भी प्रकार की गांठ या फोड़ा गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है। जानें कैसे कचनार की छाल और गोरखमुंडी जैसे प्राकृतिक तत्वों का उपयोग करके इन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। यह जानकारी न केवल आपको उपचार के लिए प्रेरित करेगी, बल्कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूक भी बनाएगी।
 

गठान और फोड़े-फुंसी: गंभीरता को समझें


शरीर के किसी भी हिस्से में उभरने वाली गठान या रसौली एक असामान्य संकेत है, जिसे गंभीरता से लेना आवश्यक है। ये गठानें विभिन्न बीमारियों जैसे टीबी, कैंसर या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकती हैं।


गठान या ठीक न होने वाला छाला और असामान्य रक्तस्राव कैंसर के लक्षण हो सकते हैं।


हालांकि, यह जरूरी नहीं कि हर गठान कैंसर हो। अक्सर कैंसर रहित गठानें साधारण बीमारियों के कारण होती हैं, लेकिन फिर भी सावधानी बरतना आवश्यक है। किसी भी गठान की जाँच कराना बेहद जरूरी है ताकि समय पर निदान और उपचार किया जा सके।


क्योंकि अधिकांश गठानें प्रारंभ में दर्द रहित होती हैं, लोग अक्सर डॉक्टर के पास नहीं जाते। साधारण गठानें भले ही कैंसर की न हों, लेकिन इनका उपचार आवश्यक है। उपचार के अभाव में ये गंभीर रूप ले सकती हैं, जिससे इलाज जटिल हो जाता है। कैंसर की गठानों का प्रारंभिक उपचार और भी महत्वपूर्ण होता है।


आपके शरीर में कहीं भी किसी भी प्रकार की गांठ हो, इसके लिए ये घरेलू उपाय लाभकारी हो सकते हैं।


उपचार के लिए आवश्यक सामग्री

आपको ये दो चीजें पंसारी या आयुर्वेद की दुकान से प्राप्त करनी चाहिए:



  • कचनार की छाल और गोरखमुंडी: कचनार (Bauhinia purpurea) का पेड़ आसानी से मिलता है। ताजा छाल अधिक लाभकारी होती है।

  • कचनार की पहचान: इसकी शाखा की छाल लें, जो 1 से 2 इंच मोटी हो। बहुत पतली या मोटी छाल न लें।

  • गोरखमुंडी का पौधा जड़ी-बूटी की दुकान से खरीदें।


कैसे करें प्रयोग

विधि:



  • कचनार की ताजा छाल 25-30 ग्राम (सूखी छाल 15 ग्राम) को मोटा-मोटा कूट लें। 1 गिलास पानी में उबालें। जब 2 मिनट उबल जाए, तो इसमें 1 चम्मच गोरखमुंडी डालें। इसे 1 मिनट तक उबलने दें। छानकर हल्का गरम करके पिएं। यह कड़वा है लेकिन प्रभावी है।

  • गठान चाहे किसी भी प्रकार की हो, यह उपाय लाभकारी है।

  • कचनार की छाल गठान को घोलने में मदद करती है। आयुर्वेद में कांचनार गुग्गुल इसी उद्देश्य के लिए दी जाती है।

  • आकड़े के दूध में मिट्टी भिगोकर लेप करने से लाभ होता है।

  • गेहूँ के आटे में पापड़खार मिलाकर पुल्टिस बनाने से गांठ पककर फूट जाती है।


फोड़े-फुंसी के लिए उपाय

उपाय:



  • अरण्डी के बीजों को पीसकर पुल्टिस बनाने से फोड़े-फुंसी में लाभ होता है।

  • काले जीरे को मक्खन के साथ निगलने से लाभ होता है।

  • सुहागे को पीसकर लगाने से रक्त बहना बंद होता है।


गण्डमाला की गांठें

गले में दूषित वात, कफ और मेद से गण्डमाला की गांठें उत्पन्न होती हैं। क्रौंच के बीज को घिसकर लेप करने और गोरखमुंडी के रस का सेवन करने से लाभ होता है।


काँखफोड़ा के लिए उपाय


  • कुचले को पानी में पीसकर लेप करने से लाभ होता है।