कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से होने वाले स्वास्थ्य जोखिम
स्वास्थ्य पर कोलेस्ट्रॉल का प्रभाव
आजकल की बदलती जीवनशैली के चलते कई स्वास्थ्य समस्याएँ सामने आ रही हैं। इनमें उच्च कोलेस्ट्रॉल, हृदय रोग, स्ट्रोक, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियाँ शामिल हैं। जब एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) और ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बढ़ता है, तो शरीर में वसा जमा होने लगती है, जिससे रक्त प्रवाह में रुकावट आती है। यह स्थिति धमनियों में रक्त के प्रवाह को बाधित करती है, जिससे दिल का दौरा, स्ट्रोक या पैरों में दर्द जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
मधुमेह और उच्च रक्तचाप से ग्रसित व्यक्तियों के लिए कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रखना अत्यंत आवश्यक है। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, धूम्रपान से बचाव और चिकित्सक की सलाह लेना महत्वपूर्ण उपाय हैं। आइए, समझते हैं कि शरीर में कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से क्या प्रभाव पड़ता है।
कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोग
उच्च एलडीएल स्तर हृदय की रक्त वाहिकाओं में वसा को जमा कर देता है, जिससे रक्त प्रवाह धीमा हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप, हृदय को पर्याप्त ऑक्सीजन युक्त रक्त नहीं मिल पाता, जिससे सीने में दर्द या दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है।
कोलेस्ट्रॉल और स्ट्रोक
कोलेस्ट्रॉल केवल हृदय में ही नहीं, बल्कि मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं में भी जमा हो सकता है। यदि मस्तिष्क में रक्त प्रवाह पूरी तरह से रुक जाए, तो स्ट्रोक का खतरा उत्पन्न होता है।
vascular disease
उच्च कोलेस्ट्रॉल के कारण पैरों की रक्त वाहिकाएँ अवरुद्ध हो जाती हैं, जिससे चलते समय दर्द या थकान महसूस होती है। ये लक्षण पैरों में एनजाइना जैसे होते हैं, जिससे चलना भी कठिन हो जाता है।
कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह
मधुमेह से प्रभावित व्यक्तियों में कोलेस्ट्रॉल का स्तर असंतुलित होता है। उनका LDL स्तर उच्च और HDL स्तर निम्न होता है, जिससे ट्राइग्लिसराइड्स भी बढ़ जाते हैं। इसके अलावा, मधुमेह में, शर्करा-लेपित कोलेस्ट्रॉल रक्त वाहिकाओं से जल्दी चिपक जाता है और प्लाक बनाता है, जिससे जोखिम बढ़ जाता है।
कोलेस्ट्रॉल और इरेक्टाइल फंक्शन
बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल पुरुषों की लिंग की रक्त वाहिकाओं को भी प्रभावित करता है, जिससे संभोग के दौरान रक्त प्रवाह में बाधा आती है। इससे स्तंभन दोष का खतरा बढ़ जाता है।