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इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए 25 प्रभावी आयुर्वेदिक चूर्ण

इस लेख में हम आपको 25 आयुर्वेदिक चूर्णों के बारे में बताएंगे, जो आपके इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत बनाने में सहायक हैं। जानें इन चूर्णों को बनाने की विधि और सेवन के तरीके, जिससे आप सर्दी, खांसी और अन्य बीमारियों से बच सकते हैं। यह जानकारी आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती है।
 

इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करने के उपाय

कई लोगों को सर्दी, खांसी और जुकाम जैसी समस्याएं अक्सर होती हैं, खासकर उन लोगों को जिनका इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर होता है। ऐसे लोग विभिन्न बीमारियों का शिकार होते रहते हैं।


इसलिए, दवाइयों का सेवन करने से बेहतर है कि आप अपने इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करें। जब आपका इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होगा, तो आप सर्दी, खांसी और जुकाम जैसी समस्याओं को भूल जाएंगे। इसके अलावा, एक मजबूत इम्यूनिटी आपको कई अन्य बीमारियों से भी बचाएगी।


आज हम आपको एक विशेष चूर्ण के बारे में बताएंगे, जो आपके इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करेगा। हम आपको 25 आयुर्वेदिक चूर्णों के बारे में जानकारी देंगे, जो प्राचीन काल से ऋषियों और मुनियों द्वारा उपयोग में लाए जाते रहे हैं।


आवश्यक सामग्री

पुनर्नवा - 50 ग्राम


हल्दी - 30 ग्राम


गिलोय पाउडर - 50 ग्राम


नीम के पत्ते - 30 ग्राम


चूर्ण बनाने की विधि

हल्दी और नीम के पत्ते आपको घर पर मिल जाएंगे, लेकिन गिलोय पाउडर और पुनर्नवा आपको बाजार से खरीदना होगा। इन सभी सामग्रियों को अच्छी तरह मिलाकर मिक्सी या पत्थर पर पीस लें। इसके बाद, इस चूर्ण को एक कांच के जार में भरकर सुरक्षित रखें।


चूर्ण का सेवन कैसे करें

सुबह खाली पेट एक चम्मच चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ लें। इस चूर्ण का सेवन दिन में केवल एक बार करना है।


इस चूर्ण के नियमित सेवन से आपके शरीर में सकारात्मक बदलाव आएगा। जो भी आप खाएंगे, वह अच्छे से पचेगा और यह चूर्ण आपको कई बीमारियों से भी बचाएगा।


अन्य उपयोगी आयुर्वेदिक चूर्ण

आयुर्वेद में कई महत्वपूर्ण चूर्ण हैं, जिन्हें आपातकाल में उपयोगी माना जाता है।


अश्वगन्धादि चूर्ण: दिमाग की कमजोरी और शारीरिक ताकत को बढ़ाता है। मात्रा: 5 से 10 ग्राम दूध के साथ।


अविपित्तकर चूर्ण: अम्लपित्त की सर्वोत्तम दवा। मात्रा: 3 से 6 ग्राम पानी के साथ।


आमलकी रसायन चूर्ण: पौष्टिक और पित्त नाशक। मात्रा: 3 ग्राम पानी के साथ।


जातिफलादि चूर्ण: पेट की समस्याओं के लिए। मात्रा: 1.5 से 3 ग्राम शहद के साथ।


दाडिमाष्टक चूर्ण: अजीर्ण और अग्निमांद्य में लाभकारी। मात्रा: 3 से 5 ग्राम भोजन के बाद।


चातुर्भद्र चूर्ण: बच्चों के सामान्य रोगों के लिए। मात्रा: 1 से 4 रत्ती शहद के साथ।


चोपचिन्यादि चूर्ण: उपदंश और वातव्याधि के लिए। मात्रा: 1 से 3 ग्राम जल या शहद के साथ।


पुष्यानुग चूर्ण: स्त्री रोगों के लिए। मात्रा: 2 से 3 ग्राम सुबह-शाम।


यवानिखांडव चूर्ण: उदर रोगों के लिए। मात्रा: 3 से 6 ग्राम।


लवणभास्कर चूर्ण: पाचन में सहायक। मात्रा: 3 से 6 ग्राम।


लवांगादि चूर्ण: कंठ रोगों के लिए। मात्रा: 3 ग्राम।


व्योषादि चूर्ण: खांसी और जुकाम में लाभकारी। मात्रा: 3 से 5 ग्राम।


शतावरी चूर्ण: शक्ति वर्धक। मात्रा: 5 ग्राम।


स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण: हल्का दस्तावर। मात्रा: 3 से 6 ग्राम।


सारस्वत चूर्ण: बुद्धि व स्मृति बढ़ाता है। मात्रा: 1 से 3 ग्राम।


सितोपलादि चूर्ण: पुराना बुखार और भूख न लगने पर। मात्रा: 1 से 3 ग्राम।


महासुदर्शन चूर्ण: सभी प्रकार के बुखार में लाभकारी। मात्रा: 3 से 5 ग्राम।


सैंधवादि चूर्ण: अग्निवर्धक। मात्रा: 2 से 3 ग्राम।


हिंग्वाष्टक चूर्ण: पेट की वायु को साफ करता है। मात्रा: 3 से 5 ग्राम।


त्रिकटु चूर्ण: खांसी और कफ नाशक। मात्रा: 1/2 से 1 ग्राम।


त्रिफला चूर्ण: कब्ज और रक्त विकारों के लिए। मात्रा: 1 से 3 ग्राम।


श्रृंग्यादि चूर्ण: बच्चों के श्वास और खांसी में। मात्रा: 2 से 4 रत्ती।


अग्निमुख चूर्ण: उदर रोगों में लाभकारी। मात्रा: 3 ग्राम।


माजून मुलैयन: दस्त साफ करने के लिए। मात्रा: 10 ग्राम।


इन चूर्णों का उपयोग करने से पहले अपने नजदीकी आयुर्वेदाचार्य से परामर्श अवश्य लें।