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शरीर को डिटॉक्स करता है भस्त्रिका प्राणायाम, मोटापा घटाने में भी कारगर

नई दिल्ली, 26 जून (आईएएनएस)। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में सेहत का ध्यान रखना काफी जरूरी हो गया है। शरीर की थकावट, मानसिक तनाव और दिनभर की भागमभाग से अक्सर हम खुद को थका हुआ और ऊर्जा से खाली महसूस करते हैं। ऐसे में अगर आप अपने दिन की शुरुआत कुछ मिनटों के योग और प्राणायाम से करें, तो न सिर्फ शरीर फिट रहता है बल्कि दिमाग भी शांत और ताजा महसूस करता है। खासतौर पर भस्त्रिका प्राणायाम, ये एक ऐसा अभ्यास है जो आपके शरीर और दिमाग दोनों को ताकत देता है।
 

नई दिल्ली, 26 जून (आईएएनएस)। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में सेहत का ध्यान रखना काफी जरूरी हो गया है। शरीर की थकावट, मानसिक तनाव और दिनभर की भागमभाग से अक्सर हम खुद को थका हुआ और ऊर्जा से खाली महसूस करते हैं। ऐसे में अगर आप अपने दिन की शुरुआत कुछ मिनटों के योग और प्राणायाम से करें, तो न सिर्फ शरीर फिट रहता है बल्कि दिमाग भी शांत और ताजा महसूस करता है। खासतौर पर भस्त्रिका प्राणायाम, ये एक ऐसा अभ्यास है जो आपके शरीर और दिमाग दोनों को ताकत देता है।

भस्त्रिका शब्द संस्कृत से आया है, जिसका मतलब होता है 'धौंकनी'। जैसे लोहार धौंकनी से तेज हवा छोड़कर लोहे को गर्म करता है और उसकी सारी अशुद्धियां निकाल देता है, वैसे ही भस्त्रिका प्राणायाम हमारे शरीर की धौंकनी बन जाता है। यह तेज और गहरी सांसों के जरिए अंदर की गंदगी, चाहे वो थकान हो, तनाव हो या नकारात्मक सोच, सबको बाहर फेंक देता है।

आयुष मंत्रालय ने इसे संपूर्ण डिटॉक्स प्राणायाम बताया है। यह वात, पित्त और कफ की समस्याओं के लिए राम-बाण इलाज है।

आयुष मंत्रालय के मुताबिक, यह एक ऐसा अभ्यास है जो शरीर की गहराई से सफाई करता है। यह शरीर के अंदर जमा हुए विषैले पदार्थ को बाहर निकालता है। इससे शरीर हल्का और ताजा महसूस होता है। आयुर्वेद के अनुसार, हमारे शरीर में तीन दोष होते हैं—कफ, पित्त और वात। अगर ये असंतुलित हो जाएं, तो कई तरह की बीमारियां होने लगती हैं। भस्त्रिका प्राणायाम इन तीनों दोषों को संतुलन में लाने में मदद करता है। यह पाचन को ठीक करता है, सांस को बेहतर बनाता है और दिमाग को शांत करता है।

भस्त्रिका प्राणायाम गले से जुड़ी समस्याओं में भी बहुत फायदेमंद माना जाता है। जब आप तेज और गहरी सांस लेते हैं, तो यह गले की सफाई में मदद करता है और वहां जमा कफ को बाहर निकालता है। इससे गले में जमा बलगम कम होता है और सूजन भी धीरे-धीरे घटने लगती है। गले में अगर खराश या भारीपन है, तो यह प्राणायाम उसमें भी राहत देता है। नियमित अभ्यास से सांस की नली साफ रहती है और गले की तकलीफें कम हो जाती हैं।

यह हमारे तंत्रिका तंत्र को संतुलित करने में मदद करता है। जब आप गहरी और तेज सांस लेते हैं, तो दिमाग तक ज्यादा ऑक्सीजन पहुंचती है, जिससे मानसिक तनाव कम होता है। यह प्राणायाम शरीर और दिमाग के बीच बेहतर तालमेल बनाता है। इससे चिड़चिड़ापन, घबराहट और बेचैनी जैसी समस्याएं दूर होती हैं, जिससे मन शांत बना रहता है और नींद भी बेहतर होती है। तंत्रिका तंत्र मजबूत होगा तो शरीर भी अच्छा काम करेगा और मानसिक संतुलन बना रहेगा।

इसके अलावा, यह मोटापा कम करने में भी मददगार होता है। तेज सांसों की प्रक्रिया से शरीर की कैलोरी घटती है और वजन कम होने लगता है। इसके साथ ही यह फेफड़ों की ताकत बढ़ाता है, जिससे दमा, टीबी और सांस से जुड़ी बीमारियों में राहत मिलती है। लगातार अभ्यास करने से फेफड़ों में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर होती है।

भस्त्रिका प्राणायाम सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं, बल्कि आंख, कान और नाक के स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है। गहरी सांसों से सिर के हिस्से में ताजगी और ऊर्जा पहुंचती है। इससे आंखों की रोशनी तेज होती है, कानों की क्षमता सुधरती है, और नाक की सफाई अच्छी तरह होती है।

ऐसे करें भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास:

भस्त्रिका प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले आराम से पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। फिर धीरे-धीरे गहरी सांस लें और उसे जोर से बाहर छोड़ें। इस दौरान अपनी छाती को फुलाना और फिर पिचकाना जरूरी होता है। शुरुआत में धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें। इस तरीके को 4 से 5 बार दोहराएं।

--आईएएनएस

पीके/केआर