केन्या अब स्लीपिंग सिकनेस मुक्त: विश्व स्वास्थ्य संगठन
नैरोबी, 9 अगस्त (आईएएनएस)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने केन्या को मानव अफ्रीकी ट्रिपैनोसोमियासिस यानी स्लीपिंग सिकनेस मुक्त घोषित कर दिया है।
केन्या की राजधानी नैरोबी में जारी एक बयान में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने कहा, "मैं केन्या सरकार और जनता को इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए बधाई देता हूं।"
टेड्रोस ने आगे कहा, "केन्या उन देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है जो मानव अफ्रीकी ट्रिपैनोसोमियासिस मुक्त हैं। यह अफ्रीका को उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों से मुक्त करने की दिशा में बढ़ाया गया एक और कदम है।"
मानव अफ्रीकी ट्रिपैनोसोमियासिस केन्या में समाप्त होने वाला दूसरा उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग है; इससे पहले 2018 में गिनी कृमि रोग-मुक्त देश का प्रमाण पत्र मिला था।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, यह रोग संक्रमित त्से त्से मक्खियां फैलाती हैं। रोग के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द और एडवांस स्टेज में भ्रम, नींद की अनियमितता और व्यवहार में बदलाव शामिल हैं।
त्से त्से मक्खियां उप-सहारा अफ्रीका में रहती हैं, और केवल कुछ प्रजातियां ही इस रोग को फैलाती हैं। कृषि, मछली पकड़ने, पशुपालन, या शिकार पर निर्भर ग्रामीण आबादी सबसे अधिक प्रभावित होती है।
मानव अफ्रीकी ट्रिपैनोसोमियासिस, जो नींद से जुड़ी बीमारी है, एक वेक्टर-जनित परजीवी रोग है। यह ट्रिपैनोसोमा वंश के प्रोटोजोआ के कारण होता है, जो त्से त्से मक्खियों (ग्लोसिना) के काटने से मनुष्यों में फैलता है, जिन्होंने संक्रमित मनुष्यों या जानवरों से परजीवी प्राप्त किए हैं।
केन्या के स्वास्थ्य मंत्री अदन डुआले ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की घोषणा ऐतिहासिक है। इससे देश में पब्लिक हेल्थ सिक्योरिटी बेहतर करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की दिशा में हम आगे बढ़ेंगे।
केन्या में नींद संबंधी दिक्कतों का पहला मामला 20वीं सदी की शुरुआत में पाया गया था, और तब से यह इसके निवारण के लिए कड़े कदम उठा रहा है। सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो मामले 2012 में विश्व प्रसिद्ध मसाई मारा राष्ट्रीय अभयारण्य में पाए गए थे।
--आईएएनएस
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