श्रीलंका: स्कूलों में डेंगू और चिकनगुनिया को रोकने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी
कोलंबो, 9 जून (आईएएनएस)। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंका के शिक्षा मंत्रालय ने देशभर के स्कूलों में डेंगू और चिकनगुनिया को फैलने से रोकने के लिए निर्देश जारी किए हैं।
नए निर्देशों के अनुसार, निरीक्षण के दौरान स्कूल परिसर में मच्छरों के प्रजनन स्थल पाए जाने पर स्कूल के प्रिंसिपल पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
मंत्रालय ने रविवार को कहा कि प्रत्येक स्कूल को मच्छरों के प्रजनन स्थलों को खत्म करने के लिए कार्यक्रम चलाना चाहिए, इसके साथ ही बिना किसी रुकावट के शैक्षणिक गतिविधियां जारी रखनी चाहिए।
मंत्रालय ने सभी सार्वजनिक और सरकार से अनुमोदित निजी स्कूलों के प्रिंसिपल, धार्मिक स्कूलों के प्रमुखों, नेशनल कॉलेज ऑफ एजुकेशन के डीन और अन्य शैक्षणिक संस्थानों और प्रांतीय कार्यालयों के प्रमुखों को नए उपायों के बारे में सूचित करने के लिए नोटिस भेजे हैं।
'सिन्हुआ समाचार एजेंसी' की रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय ने स्कूलों का समय-समय पर निरीक्षण करने के निर्देश दिए हैं।
श्रीलंका में डेंगू और चिकनगुनिया के मामले बढ़ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, डेंगू बिना लक्षण वाले संक्रमण या हल्की बीमारी से लेकर गंभीर बीमारी का रूप ले सकता है। अनुमान है कि 4 में से 1 पीड़ित में ही डेंगू वायरस के लक्षण नजर आते हैं।
शुरुआती लक्षणों को पहचानना और तुरंत इलाज शुरू करना मृत्यु दर को कम कर सकता है।
इसके लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, दाने के अलावा मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द शामिल हैं। यह मतली और उल्टी भी पैदा कर सकता है। गंभीर मामलों में, गंभीर रक्तस्राव और शॉक जैसी समस्याएं नजर आती हैं, जो जीवन के लिए खतरा हो सकती हैं।
इसके उपचार की बात करें तो तरल पदार्थ और दर्द निवारक दवाएं हो सकती हैं। गंभीर मामलों में रोगी को अस्पताल में भर्ती करवाने की जरूरत पड़ सकती है।
दूसरी ओर, चिकनगुनिया एक मच्छर जनित वायरल बीमारी है, जो बुखार और जोड़ों के दर्द का कारण बनती है। यह एक राइबोन्यूक्लिक एसिड (आरएनए) वायरस के कारण होता है।
'चिकनगुनिया' नाम दक्षिणी तंजानिया की किमाकोंडे भाषा के एक शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ 'वह जो ऊपर की ओर झुकता है', इस बीमारी के दौरान जोड़ों के दर्द से पीड़ित मरीज को टेढ़ी-मेढ़ी मुद्रा का वर्णन करता है।
चिकनगुनिया वायरस (सीएचआईकेवी) संक्रमित मादा मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलता है, आम तौर पर एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस मच्छर से। ये दोनों प्रजातियां 'डेंगू' और 'जीका वायरस' सहित अन्य वायरस भी फैला सकती हैं। ये अक्सर दिन के उजाले में काटते हैं, खासतौर पर सुबह-सुबह और दोपहर में।
सीएचआईकेवी की पहचान सबसे पहले 1952 में यूनाइटेड रिपब्लिक ऑफ तंजानिया में और उसके बाद अफ्रीका और एशिया के अन्य देशों में की गई थी। शहर में इसका प्रकोप पहली बार साल 1970 के दशक में एशिया में देखा गया था। साल 2004 के बाद से इसका प्रकोप बढ़ा है।
अमेरिका में मच्छरों से फैलने वाले चिकनगुनिया के पहले स्थानीय मामले 2013 के अंत में रिपोर्ट किए गए थे, जिसके बाद इस क्षेत्र के अधिकांश देशों में बड़े पैमाने पर इसका प्रकोप नजर आया। अब तक चिकनगुनिया के मामले एशिया, अफ्रीका, अमेरिका और यूरोप के 110 देशों में देखे गए हैं।
--आईएएनएस
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