एंटीबायोटिक प्रतिरोध को चुपचाप बढ़ा रहे हैं आइबूप्रोफेन और एसिटामिनोफेन: अध्ययन
नई दिल्ली, 27 अगस्त (आईएएनएस)। लोग बुखार और दर्द में आमतौर पर आइबूप्रोफेन और एसिटामिनोफेन जैसी दवाएं खा लेते हैं। आम क्लीनिक पर भी इन्हें बड़ी तादाद में मरीजों को दिया जाता है।
मगर एक नए अध्ययन में पता चला है कि आम दर्द कम करने वाली दवाएं, जैसे आइबूप्रोफेन और एसिटामिनोफेन, शरीर में एंटीबायोटिक दवाओं का असर कम कर सकती हैं और बैक्टीरिया को ज्यादा मजबूत बना सकती हैं। यह समस्या पूरी दुनिया के लिए बड़ा स्वास्थ्य खतरा है।
दक्षिण ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि ये दवाएं अकेले इस्तेमाल करने पर भी एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस बढ़ाती हैं, और अगर एंटीबायोटिक के साथ दी जाएं तो असर और ज्यादा खतरनाक होता है।
एनपीजे एंटीमाइक्रोबियल्स एंड रेजिस्टेंस नामक पत्रिका में इस शोध को प्रकाशित किया गया है। इसके निष्कर्षों से पता चला है कि आइबूप्रोफेन और एसिटामिनोफेन ने जीवाणु उत्परिवर्तन को काफी बढ़ा दिया है, जिससे ई. कोलाई एंटीबायोटिक के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी हो गया है। टीम ने गैर-एंटीबायोटिक दवाओं और सिप्रोफ्लोक्सासिन (एक एंटीबायोटिक जिसका उपयोग सामान्य त्वचा, आंत या मूत्र मार्ग के संक्रमण के इलाज के लिए किया जाता है) के प्रभाव का अध्ययन किया।
विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता रीटी वेंटर ने कहा, "एंटीबायोटिक प्रतिरोध अब केवल एंटीबायोटिक दवाओं तक ही सीमित नहीं है।"
वेंटर ने आगे कहा, "यह विशेष रूप से वृद्धाश्रमों में प्रचलित है, जहां वृद्ध लोगों को कई दवाएं दी जाने की संभावना अधिक होती है, न केवल एंटीबायोटिक, बल्कि दर्द, नींद, या रक्तचाप की दवाएं भी, जिससे यह आंत के बैक्टीरिया के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी बनने की एक आदर्श स्थिति बन जाता है। जब बैक्टीरिया को इबुप्रोफेन और एसिटामिनोफेन के साथ सिप्रोफ्लोक्सासिन के संपर्क में लाया गया, तो उनमें अकेले एंटीबायोटिक की तुलना में अधिक आनुवंशिक उत्परिवर्तन विकसित हुए, जिससे वे तेजी से बढ़े और अत्यधिक प्रतिरोधी बन गए।"
वेंटर ने कहा, "चिंताजनक बात यह है कि बैक्टीरिया न केवल सिप्रोफ्लोक्सासिन एंटीबायोटिक के प्रति प्रतिरोधी थे, बल्कि विभिन्न वर्गों के कई अन्य एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति भी बढ़ी हुई प्रतिरोधकता देखी गई।"
शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि हमें हर दवा का इस्तेमाल बहुत सोच-समझकर करना चाहिए। इसका मतलब यह नहीं है कि दर्द की दवाएं बंद कर दी जाएं, बल्कि यह समझना जरूरी है कि जब इन्हें एंटीबायोटिक के साथ लिया जाए तो बैक्टीरिया और ज्यादा मजबूत हो सकते हैं।
--आईएएनएस
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