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हर हफ्ते बुरे सपने आना हो सकता है गंभीर बीमारी का संकेत, रिसर्च में हुआ खुलासा

नई दिल्ली, 27 अगस्त (आईएएनएस)। अगर आप अक्सर सोते वक्त डरावने और परेशान करने वाले सपने देखते हैं तो इसे मामूली बात समझकर नजरअंदाज न करें। एक रिसर्च में चौंकाने वाला दावा किया गया है कि हफ्ते में एक या उससे ज्यादा बार बुरे सपने देखना समय से पहले मौत का संकेत हो सकता है। ये सिर्फ डराने वाला सपना नहीं, बल्कि आपकी सेहत से जुड़ी किसी गहरी परेशानी का इशारा भी हो सकता है।
 

नई दिल्ली, 27 अगस्त (आईएएनएस)। अगर आप अक्सर सोते वक्त डरावने और परेशान करने वाले सपने देखते हैं तो इसे मामूली बात समझकर नजरअंदाज न करें। एक रिसर्च में चौंकाने वाला दावा किया गया है कि हफ्ते में एक या उससे ज्यादा बार बुरे सपने देखना समय से पहले मौत का संकेत हो सकता है। ये सिर्फ डराने वाला सपना नहीं, बल्कि आपकी सेहत से जुड़ी किसी गहरी परेशानी का इशारा भी हो सकता है।

लंदन के इम्पीरियल कॉलेज में की गई एक बड़ी स्टडी में पाया गया कि बार-बार बुरे सपने आने वाले लोगों में उम्र बढ़ने की रफ्तार तेज हो जाती है और उनके अंदर 70 साल से पहले मौत का खतरा भी तीन गुना तक बढ़ जाता है। इस स्टडी में करीब 1.80 लाख लोगों को शामिल किया गया, जिनमें वयस्कों के साथ-साथ बच्चे भी थे।

रिसर्च में यह बात सामने आई कि बुरे सपनों से शरीर में स्ट्रेस हार्मोन का लेवल काफी बढ़ जाता है। यह हार्मोन सिर्फ मानसिक रूप से ही नहीं, बल्कि शारीरिक रूप से भी नुकसान पहुंचाता है। इससे शरीर में सूजन बढ़ती है और आंतरिक अंगों पर असर पड़ने लगता है। धीरे-धीरे यह असर हमारी उम्र बढ़ाने वाले क्रोमोसोम्स पर भी पड़ता है, जिससे इंसान के बूढ़ा होने की प्रक्रिया तेज हो जाती है।

डॉक्टरों का मानना है कि इस बदलाव की वजह से इंसान की रोगों से लड़ने की ताकत कमजोर होने लगती है। यही नहीं, बुरे सपने आने का संबंध मानसिक बीमारियों से भी जोड़ा गया है। जिन लोगों को डिप्रेशन, एंग्जायटी या पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) जैसी समस्याएं होती हैं, उन्हें बुरे सपने आने की आशंका ज्यादा होती है। इसके अलावा न्यूरोलॉजिकल बीमारियां जैसे कि स्किजोफ्रेनिया, डिमेंशिया और पार्किंसन के शुरुआती लक्षणों में भी बुरे सपने देखे जा सकते हैं।

इतना ही नहीं, रिसर्च में यह भी देखा गया कि बुरे सपने आने वाले लोगों में दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। दरअसल, जब नींद के दौरान हमारा दिमाग तनाव में होता है, तो दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर पर भी इसका असर पड़ता है। ये सारे बदलाव धीरे-धीरे एक गंभीर समस्या का रूप ले सकते हैं।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि बीते कुछ सालों में बुरे सपने देखने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। 2021 में 11 प्रतिशत लोगों ने बताया कि उन्हें बार-बार बुरे सपने आते हैं, जबकि 2019 में यह संख्या सिर्फ 6.9 प्रतिशत थी। यह इजाफा यह बताने के लिए काफी है कि हमारी लाइफस्टाइल, तनाव और मानसिक सेहत किस कदर प्रभावित हो रही है।

हालांकि बुरे सपनों का कोई तय इलाज अभी नहीं है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ मामलों में साइकोथेरेपी काफी असरदार साबित हो सकती है। इस तकनीक में मरीज की मानसिक स्थिति को समझकर उसके डर या तनाव का इलाज किया जाता है।

--आईएएनएस

पीके/एएस