हाइफा दिवस: भारतीय सैनिकों की वीरता का अद्भुत इतिहास
तीन मूर्ति भवन का ऐतिहासिक महत्व
नई दिल्ली में स्थित ‘तीन मूर्ति भवन’ एक ऐतिहासिक स्थल है, जहां पहले ब्रिटिश सैन्य कमांडर और बाद में स्वतंत्रता के बाद पंडित नेहरू निवास करते थे। वर्तमान में इसे ‘प्रधानमंत्री संग्रहालय’ और ‘प्रधानमंत्री स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय’ के नाम से जाना जाता है। इसके सामने तीन मूर्तियां हैं, जो इसे ‘तीन मूर्ति चौक’ के नाम से भी पहचान दिलाती हैं। बहुत से लोग नहीं जानते कि इन मूर्तियों का संबंध भारत की इजराइल की स्वतंत्रता से गहरा है। इस पहल को इजराइल एक नई दिशा देने जा रहा है। हाइफा के मेयर योना याहाव ने बताया कि शहरी स्कूलों की पाठ्यपुस्तकों में बदलाव किया जा रहा है, जिसमें यह बताया जाएगा कि हाइफा को आजाद कराने में भारतीय सैनिकों की भूमिका थी, न कि अंग्रेजों की।
हाइफा दिवस का महत्व
भारतीय सेना हर साल 23 सितंबर को ‘हाइफा दिवस’ के रूप में मनाती है। यह दिन उन तीन भारतीय घुड़सवार टुकड़ियों— मैसूर, हैदराबाद और जोधपुर लांसर्स को समर्पित है, जिन्होंने 1918 में हाइफा को आजाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हाल ही में, हाइफा के मेयर ने भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि पहले उन्हें बताया गया था कि अंग्रेजों ने उन्हें आजाद कराया, लेकिन एक ऐतिहासिक शोध ने यह स्पष्ट किया कि असली श्रेय भारतीय सैनिकों को जाता है।
प्रथम विश्व युद्ध में भारतीय सैनिकों की भूमिका
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, जोधपुर, मैसूर और हैदराबाद के सैनिकों को ब्रिटिश सेना ने तुर्की भेजा था। उस समय, मित्र राष्ट्रों और जर्मनी के बीच युद्ध चल रहा था। जब तुर्की ने जर्मनी का साथ दिया, तो ब्रिटिश सेना ने तुर्की पर आक्रमण किया। इस दौरान, भारतीय सैनिकों को हाइफा भेजा गया, जहां उन्होंने खलीफा की सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
भारतीय सैनिकों की बहादुरी
भारतीय सैनिकों ने अपनी जान की परवाह किए बिना दुश्मनों पर हमला किया। माउंट कार्मेल की चोटी से ओटोमन सेना को खदेड़ते हुए, उन्होंने 900 जवानों की शहादत के बाद हाइफा को मुक्त कराया। यह युद्ध 22-23 सितंबर 1918 को लड़ा गया और इसे इतिहास का एक महत्वपूर्ण घुड़सवार अभियान माना जाता है।
वीरता का सम्मान
मेजर दलपत सिंह शेखावत को आज भी ‘हाइफा का नायक’ माना जाता है। उनके नेतृत्व में भारतीय सैनिकों ने तुर्की शासन का अंत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें उनकी वीरता के लिए ‘मिलिट्री क्रॉस’ से सम्मानित किया गया। हाइफा के मेयर ने कहा कि दलपत सिंह ने न केवल उनके शहर का इतिहास बदला, बल्कि पूरे मध्य पूर्व का भी।
भारतीय वीरों की स्मृति
इजराइल आज भी भारतीय सैनिकों की समाधियों की देखरेख करता है। 2017 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाइफा में भारतीय सैनिकों के स्मारकों का दौरा किया और दलपत सिंह शेखावत की याद में एक पट्टिका का अनावरण किया। यह दुखद है कि स्वतंत्र भारत में इस शौर्यगाथा को उचित मान्यता नहीं मिली।
भारत में हाइफा के नायकों का सम्मान
इजराइल हर साल भारतीय वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है, जबकि स्वतंत्र भारत अपने रणबांकुरों की वीरता को नजरअंदाज करता रहा है। 2018 में, मोदी सरकार ने ‘तीन मूर्ति चौक’ का नाम बदलकर ‘तीन मूर्ति हाइफा चौक’ रखा। यह भारत के इस गौरवशाली इतिहास को मान्यता देने का एक प्रयास है।