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सोने की कीमतों में लगातार वृद्धि, केंद्रीय बैंकों की खरीदारी का असर

सोने की कीमतों में निरंतर वृद्धि जारी है, जो इस साल 40 बार अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है। केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की खरीदारी इस वृद्धि का मुख्य कारण है। कजाकस्तान, चीन और अन्य देशों के केंद्रीय बैंकों ने हाल ही में सोने की खरीदारी की है, जिससे वैश्विक स्तर पर सोने के भंडार में वृद्धि हो रही है। अमेरिका अभी भी सबसे बड़े गोल्ड रिजर्व वाला देश है, लेकिन अन्य देश भी अपनी सोने की संपत्ति बढ़ा रहे हैं। जानें इस विषय पर और क्या चल रहा है।
 

सोने की कीमतों में वृद्धि का कारण

नई दिल्ली: सोने की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी जारी है। इस वर्ष सोना अब तक 40 बार अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है। इस वृद्धि का एक प्रमुख कारण यह है कि विश्व के कई देशों के केंद्रीय बैंक लगातार सोने की खरीद कर रहे हैं। पिछले 28 महीनों में, केंद्रीय बैंकों ने 27 बार सोना खरीदा है। अगस्त में, केंद्रीय बैंकों ने 15 टन सोना खरीदा, जिसमें से आधा यानी 8 टन सोना कजाकस्तान के केंद्रीय बैंक द्वारा खरीदा गया। इसके साथ ही, कजाकस्तान के पास अब 308 टन सोने का भंडार है।


केंद्रीय बैंकों की खरीदारी

बुल्गारिया, तुर्की और चीन के केंद्रीय बैंकों ने भी 2-2 टन सोना खरीदा है। चीन का केंद्रीय बैंक लगातार दसवें महीने सोने की खरीदारी कर रहा है, जिससे उसकी गोल्ड होल्डिंग्स पहली बार 2,300 टन के पार पहुंच गई हैं। हालांकि, अमेरिका अभी भी गोल्ड रिजर्व के मामले में सबसे आगे है, जहां के केंद्रीय बैंक के पास 8,133 टन सोना है। दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका के गोल्ड रिजर्व में पिछले 25 वर्षों में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं आया है।


दुनिया के शीर्ष 10 सोने के भंडार वाले देश

अमेरिका के बाद, जर्मनी के पास 3,350 टन सोना है। इसके बाद इटली (2,452 टन), फ्रांस (2,437 टन) और रूस (2,330 टन) का स्थान है। चीन 2,301 टन के साथ छठे स्थान पर है। इसके बाद स्विट्जरलैंड (1,040 टन), भारत (880 टन), जापान (846 टन) और तुर्की (837 टन) का नंबर आता है। यूक्रेन युद्ध के बाद, देशों ने डॉलर पर निर्भरता कम करने और सोने के भंडार को बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए हैं, जिससे सोने की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है।