सोने की कीमतों में तेजी: अमेरिका के गोल्ड रिजर्व का मूल्यांकन?
सोने की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि
नई दिल्ली: हाल के दिनों में सोने की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इस वर्ष सोना 40 से अधिक बार अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है। भारत में सोने की कीमत ₹1,20,000 प्रति 10 ग्राम के पार जा चुकी है। इस अभूतपूर्व वृद्धि के पीछे के कारणों पर विभिन्न कयास लगाए जा रहे हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्रीय बैंकों द्वारा की जा रही खरीदारी के कारण सोने की कीमतें बढ़ रही हैं, जबकि अन्य का कहना है कि वैश्विक अशांति इसका मुख्य कारण है। एक और थ्योरी यह है कि अमेरिका अपने भारी कर्ज को चुकाने के लिए कुछ बड़ा करने की योजना बना रहा है।
सोने के रिटर्न पर चर्चा
भारतीय वित्त क्षेत्र में इस विषय पर गहन चर्चा हो रही है। एक लिंक्डइन पोस्ट में उल्लेख किया गया है कि 1970 से अब तक सोने ने 649 गुना रिटर्न दिया है। यह लोगों को सोचने पर मजबूर कर रहा है कि सोने की कीमतें इतनी तेजी से क्यों बढ़ रही हैं। सोशल मीडिया पर एक थ्योरी यह भी चल रही है कि अमेरिका अपने सोने के भंडार का पुनर्मूल्यांकन करने की योजना बना रहा है, जिससे वह अपने बढ़ते कर्ज को कम कर सके। दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका के गोल्ड रिजर्व में पिछले 25 वर्षों में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं आया है।
अमेरिका के सोने का मूल्यांकन
सीनियर वेल्थ एडवाइजर आशीष सेनगुप्ता ने कहा, 'आपको सोने की इस रैली के पीछे का असली कारण नहीं पता।' अमेरिका अपने सोने को फेडरल रिजर्व के रिकॉर्ड में केवल $42.22 प्रति औंस दिखा रहा है, जो 1970 के दशक की शुरुआत में तय की गई थी। अमेरिका के पास दुनिया में सबसे अधिक 8,133 टन सोना है, जिसकी आधिकारिक कीमत लगभग 11 अरब डॉलर है। वर्तमान में सोने की कीमत $4,000 प्रति औंस के पार जा चुकी है। यदि इसे आज के बाजार मूल्य के अनुसार आंका जाए, तो अमेरिका के सोने के भंडार का मूल्य 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो जाएगा।
सोने के भंडार का रिसेट
यदि अमेरिका अपने गोल्ड रिजर्व की वैल्यू को रिसेट करता है, तो यह एक तात्कालिक लाभ प्रदान कर सकता है। आशीष यू. ने बताया कि यदि इस कीमत को 10 गुना बढ़ाया जाए, तो अमेरिका का एक ट्रिलियन डॉलर का कर्ज समाप्त हो सकता है। हालांकि, इससे डॉलर की कीमत में गिरावट आ सकती है और महंगाई बढ़ सकती है। सेनगुप्ता ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा, 'यह 10 गुना नहीं है... यह 100 गुना है।' उनका मानना है कि सोने की कीमतों में वृद्धि का डॉलर की मजबूती पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
भारत का सोने का भंडार
ऐसा प्रतीत होता है कि भारत अमेरिका की इस रणनीति को समझ चुका है। भारतीय केंद्रीय बैंक ने पिछले दो महीनों में अपने गोल्ड रिजर्व में कोई वृद्धि नहीं की है। RBI के पास अब 880 टन सोना है, जो अब तक का सबसे अधिक है। यह भारत के कुल फॉरेक्स रिजर्व का 12.5% है। अमेरिका के बाद सबसे अधिक सोना जर्मनी (3350 टन) के पास है, इसके बाद इटली (2452 टन), फ्रांस (2437 टन), रूस (2330 टन), चीन (2301 टन), स्विट्जरलैंड (1040 टन) और फिर भारत का नंबर आता है। जापान के पास 846 टन और तुर्की के पास 837 टन सोना है।