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सावन में कावड़ यात्रा: जल चढ़ाने की तिथियाँ और महत्व

सावन का महीना भगवान शिव की आराधना का विशेष समय है, जिसमें कावड़ यात्रा का महत्वपूर्ण स्थान है। इस वर्ष सावन 11 जुलाई से शुरू होगा और 9 अगस्त को समाप्त होगा। जानें कावड़ का पहला जल कब चढ़ाया जाएगा और इस दौरान शिव भक्तों के लिए क्या विशेष है। इस लेख में कावड़ यात्रा की तिथियों और महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।
 

कावड़ यात्रा का महत्व

सावन का महीना भगवान शिव की आराधना का विशेष समय होता है। इस दौरान भक्तों को महादेव की पूजा करने का बेसब्री से इंतज़ार रहता है। मान्यता है कि जो लोग सच्चे मन से शिव की उपासना करते हैं, उनके सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। सावन में कावड़ यात्रा का विशेष महत्व है, जिसमें शिव भक्त हरिद्वार, गौमुख या गंगोत्री जैसे तीर्थ स्थलों से गंगा जल लाकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं.


सावन का महीना कब शुरू होगा?

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष सावन का महीना 11 जुलाई से प्रारंभ होगा और 9 अगस्त को समाप्त होगा। इस बार सावन में 5 सोमवार व्रत भी पड़ेंगे.


कांवड़ यात्रा की शुरुआत

सावन माह की शुरुआत 11 जुलाई से हो रही है, जिससे शिव भक्तों की कावड़ यात्रा भी इसी दिन से शुरू होगी। सावन माह की शिवरात्रि के दिन कांवड़ यात्रा का जल चढ़ाया जाएगा.


कावड़ का पहला जल कब चढ़ाया जाएगा?

कावड़ यात्रा सावन की मासिक शिवरात्रि तक चलती है, और इस दिन कावड़ का पहला जल भगवान शिव को अर्पित किया जाता है। पंचांग के अनुसार, चतुर्दशी तिथि 23 जुलाई को सुबह 4:39 बजे से शुरू होगी और इसका समापन 24 जुलाई की रात 2:28 बजे होगा। इस दिन भक्त कावड़ का जल शिवलिंग पर अर्पित कर सकते हैं.


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