×

लद्दाख में हिंसा: प्रदर्शनकारियों की मांगें और सोनम वांगचुक की भूमिका

लद्दाख में हालिया हिंसा ने पूरे देश का ध्यान खींचा है। प्रदर्शनकारियों की मांगें, जिसमें पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल होने की मांग शामिल है, ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। सोनम वांगचुक, जो इस आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक हैं, ने भी अपनी आवाज उठाई है। जानें इस मुद्दे की गहराई और लद्दाख के लोगों की चिंताओं के बारे में।
 

लद्दाख में हालात की गंभीरता

फिल्म 3 इडियट्स, जो 2009 में रिलीज हुई थी, ने दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई है। इसमें आमिर खान द्वारा निभाया गया फुंसुक वांगडू का किरदार लद्दाख के सोनम वांगचुक से प्रेरित था। वर्तमान में, सोनम वांगचुक लद्दाख में हो रही हिंसा के कारण चर्चा में हैं। नेपाल और अन्य देशों में हालिया घटनाओं के बाद, जेन-जी शब्द अब संवेदनशील बन चुका है। इसके उच्चारण के साथ ही परिणामों की जिम्मेदारी भी आती है। अब यह विषय मीम्स और रील्स से आगे बढ़कर राजनीतिक विमर्श का हिस्सा बन गया है। जब वांगचुक ने 'जेन जी रिव्ल्यूशन' शब्द का प्रयोग किया, तो इसके कई अर्थ निकलने लगे। लेकिन इससे पहले लद्दाख में पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर प्रदर्शन हिंसक हो गए। प्रदर्शनकारियों ने आगजनी की और बीजेपी कार्यालयों पर हमले किए। इस रिपोर्ट में हम जानेंगे कि लद्दाख की स्थिति कैसे इस कदर बिगड़ी।


लेह में हिंसा का कारण

लेह में कैसे और क्यों भड़की हिंसा

लद्दाख में राज्य का दर्जा और अन्य मांगों को लेकर पिछले 15 दिनों से चल रहे प्रदर्शनों ने 24 सितंबर को हिंसक मोड़ ले लिया। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं, जिसमें चार लोगों की जान गई और कई अन्य घायल हुए। सुरक्षा बलों की गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जबकि प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पुलिस ने फायरिंग की। वांगचुक ने हिंसा को देखते हुए अनशन समाप्त कर दिया और शांति की अपील की। लेह प्रशासन ने एहतियात के तौर पर कर्फ्यू लागू कर दिया।


सोनम वांगचुक का आंदोलन में योगदान

लद्दाख आंदोलन का चेहरा बने वांगचुक

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला। लद्दाख में पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग को लेकर पिछले चार वर्षों से लेह अपेक्स बॉडी (एलएबी) और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) सक्रिय हैं। वांगचुक भी इसी मुद्दे पर अनशन पर हैं। 25 सितंबर को उनके अनशन का 15वां दिन था। इस बीच, सुरक्षा बलों ने स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया। केंद्र सरकार ने लोगों से भड़काऊ वीडियो साझा न करने की अपील की है। 1989 में भी लद्दाख के लोग इसी मांग को लेकर सड़कों पर उतरे थे।


केंद्रीय गृह मंत्रालय की प्रतिक्रिया

भेजी गई ITBP, CRPF की कंपनियां

लेह में हुई हिंसा के पीछे केंद्रीय गृह मंत्रालय सुनियोजित साजिश मान रहा है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सीएपीएफ की 12 कंपनियों को भेजा जा रहा है। इनमें से चार कंपनियां पहले ही पहुंच चुकी हैं। मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि लद्दाख के युवा कुछ लोगों की राजनीति और सोनम वांगचुक की महत्वाकांक्षाओं का शिकार हो रहे हैं।


प्रदर्शनकारियों की मांगें

प्रदर्शनकारियों की ये हैं 4 मांगें...

1. लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए। 2019 में अनुच्छेद 370 के हटने के बाद से यह मांग उठ रही है।
2. संविधान की छठी अनुसूची के तहत लद्दाख को विशेष अधिकार दिए जाएं।
3. लद्दाख में 2 लोकसभा सीटें हों।
4. स्थानीय लोगों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता दी जाए।


छठी अनुसूची का महत्व

क्या है छठी अनुसूची

संविधान की छठी अनुसूची में पूर्वोत्तर के चार राज्यों के लिए विशेष प्रावधान हैं। इसमें स्थानीय शासन और स्वायत्त परिषदों के माध्यम से न्यायिक और वित्तीय अधिकार दिए जाते हैं। लद्दाख भी इसी प्रकार की मांग कर रहा है।