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रूस का भारत को SU-57 जेट देने का प्रस्ताव: बिना शर्त टेक्नोलॉजी ट्रांसफर

रूस ने भारत को SU-57 जेट देने का प्रस्ताव रखा है, जिसमें बिना किसी शर्त के टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की पेशकश की गई है। यह कदम भारतीय वायुसेना की ताकत को बढ़ाने में मदद करेगा। रूस का यह प्रस्ताव भारत में इस विमान के उत्पादन की संभावनाओं को भी खोलता है। जानें इस महत्वपूर्ण सौदे के बारे में और कैसे यह दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करेगा।
 

रूस का भारत को SU-57 जेट देने का प्रस्ताव

भारत को SU-57 जेट देने को तैयार रूस

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अगले महीने भारत का दौरा करने वाले हैं, लेकिन इससे पहले ही एक महत्वपूर्ण खबर आई है जो भारतीय वायुसेना की ताकत को बढ़ा सकती है। रूस ने अपने अत्याधुनिक SU-57 पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट के लिए भारत को एक खुला प्रस्ताव दिया है। खास बात यह है कि रूस ने भारत की तकनीकी आवश्यकताओं को स्वीकार करते हुए बिना किसी शर्त के इस विमान की टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करने की पेशकश की है।

बिना शर्त टेक्नोलॉजी ट्रांसफर

दुबई एयर शो 2025 के दौरान, रूसी रक्षा कंपनी रोस्टेक के सीईओ सर्गेई चेमेजोव ने भारत और रूस के बीच के पुराने संबंधों का जिक्र करते हुए एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि रूस भारत की सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। चेमेजोव ने यह भी बताया कि जब भारत पर प्रतिबंध लगे थे, तब भी रूस ने हथियारों की आपूर्ति जारी रखी थी और आज भी उनका यही रुख है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत जो भी मांग करेगा, रूस उसे उपलब्ध कराने के लिए तैयार है। रोस्टेक की सहायक कंपनी UAC के डायरेक्टर जनरल वादिम बदेखा ने भी पुष्टि की कि भारत की ओर से SU-57 के संबंध में जो भी तकनीकी चिंताएं उठाई गई हैं, उन्हें रूस ने स्वीकार कर लिया है। यह कदम दोनों देशों के बीच विश्वास की नई मिसाल पेश कर रहा है।

इंजन से लेकर राडार तक सब कुछ मिलेगा

यह खबर आम भारतीयों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह केवल एक विमान खरीदने का सौदा नहीं है, बल्कि भारत में इसे बनाने की योजना भी है। रूस की सरकारी हथियार निर्यातक कंपनी ने प्रस्ताव दिया है कि SU-57 का उत्पादन भारत में भी किया जा सकता है।

इस प्रस्ताव के तहत रूस भारत को वह तकनीक देगा जो अब तक बेहद गुप्त मानी जाती थी, जिसमें फाइटर जेट का इंजन, एईएसए राडार, ऑप्टिक्स, एआई तत्व और दुश्मन की राडार से बचने वाली तकनीक शामिल है।

इसके अलावा, रूस ने भारत के लिए इस विमान का दो सीटों वाला वर्जन भी विकसित करने की बात कही है। इसका मतलब यह है कि भविष्य में भारत को स्पेयर पार्ट्स या आपूर्ति श्रृंखला के लिए किसी अन्य देश के प्रतिबंधों का डर नहीं रहेगा, क्योंकि महत्वपूर्ण कलपुर्जे भारत में ही बनाए जाएंगे.