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भारत में हवाई यात्रा की लागत में भारी कमी, रिपोर्ट से खुलासा

हाल ही में जारी IATA की रिपोर्ट में भारत में हवाई यात्रा की लागत में उल्लेखनीय कमी का खुलासा हुआ है। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई टिकटों की औसत कीमतों में क्रमशः 21% और 38% की गिरावट आई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारतीय एविएशन सेक्टर ने 77 लाख नौकरियों का सृजन किया है और GDP में 1.5% का योगदान दिया है। हवाई यात्रा अब न केवल समय की बचत कर रही है, बल्कि यह आर्थिक रूप से भी अधिक व्यावहारिक विकल्प बनती जा रही है।
 

हवाई यात्रा की बढ़ती सस्ती दरें


नई दिल्ली। भारत में हवाई यात्रा अब पहले से कहीं अधिक किफायती हो गई है। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू हवाई टिकटों की औसत कीमत में 21% और अंतरराष्ट्रीय टिकटों में 38% की कमी आई है। कुछ मार्गों पर हवाई किराया रेलवे के फर्स्ट क्लास किराए से भी कम हो गया है।


IATA की वार्षिक आम बैठक

रविवार को नई दिल्ली के भारत मंडपम में IATA की 81वीं वार्षिक आम बैठक का उद्घाटन हुआ, जहां 'एविएशन इन इंडिया' रिपोर्ट पेश की गई। यह आयोजन 42 वर्षों के बाद भारत में हो रहा है।


रिपोर्ट की मुख्य बातें

इस रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य 'ससटेनेबल और डायनामिक एयर ट्रांसपोर्ट मार्केट का विकास' था। इसमें बताया गया है कि भारतीय एविएशन सेक्टर न केवल यात्रियों को सस्ती यात्रा प्रदान कर रहा है, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।


भारतीय एविएशन क्षेत्र 77 लाख नौकरियों का सृजन करता है और देश के GDP में 53.6 अरब अमेरिकी डॉलर का योगदान देता है, जो कुल GDP का 1.5% है।


हवाई किराए में गिरावट का विश्लेषण

रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि 2011 की तुलना में वास्तविक हवाई किराए में उल्लेखनीय कमी आई है। वास्तविक किराए से तात्पर्य उस कीमत से है जिसमें महंगाई का समायोजन किया गया है।


घरेलू उड़ानों के किराए 79% रह गए हैं 2011 के स्तर के मुकाबले, यानी 21% की कमी।


अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के किराए 62% रह गए हैं 2011 के स्तर के मुकाबले, यानी 38% की गिरावट।


हालांकि, कोविड-19 महामारी के दौरान यह गिरावट थोड़ी समय के लिए बाधित हुई थी, विशेषकर अंतरराष्ट्रीय रूट्स पर, लेकिन अब फिर से गिरावट का रुख देखने को मिल रहा है।


हवाई और रेल किराए की तुलना

IATA की रिपोर्ट में हवाई और रेल किराए की तुलना की गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कई रूट्स पर हवाई यात्रा अब रेल की तुलना में अधिक समय की बचत और थोड़े से अतिरिक्त खर्च में उपलब्ध है।


उदाहरण के लिए, मुंबई से कोलकाता के लिए फर्स्ट क्लास ट्रेन किराया ₹6,000 है, जबकि औसत हवाई किराया ₹6,380 है। यात्रा का समय 32 घंटे से घटकर 2 घंटे 40 मिनट हो गया है।


दिल्ली से चेन्नई के लिए ट्रेन का फर्स्ट क्लास किराया ₹7,150 है, जबकि औसत हवाई किराया ₹6,550 है।


प्रतिस्पर्धा का लाभ

IATA के निदेशक अमिताभ खोसला के अनुसार, 'भारत आज वैश्विक विमानन में तीसरे स्थान पर है और कार्गो ट्रांसपोर्ट में छठे स्थान पर है। उपभोक्ताओं को प्रतिस्पर्धा से बहुत लाभ हुआ है, क्योंकि औसत किराए में भारी गिरावट आई है।'


इस प्रतिस्पर्धा के पीछे कई कारण हैं, जैसे निजी एयरलाइनों की वृद्धि और कम लागत वाले वाहकों की संख्या में इजाफा।


एयरलाइनों का विलय और एकीकरण

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2014 में शीर्ष 10 एयरलाइनों की कुल बाजार हिस्सेदारी 60.7% थी, जो 2024 में बढ़कर 90.9% हो गई है।


महत्वपूर्ण विलय में AIX Connect का Air India Express में विलय और Vistara का Air India में विलय शामिल है।


आर्थिक प्रभाव और रोजगार

IATA की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारतीय विमानन उद्योग केवल यात्रियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश के आर्थिक इंजन के रूप में भी कार्य कर रहा है।


77 लाख नौकरियां सीधे या परोक्ष रूप से इस उद्योग से जुड़ी हैं, और भारत की कुल GDP में 1.5% का योगदान केवल एविएशन सेक्टर से है।


भारत: एक वैश्विक एविएशन हब

IATA द्वारा 42 सालों के बाद भारत में AGM का आयोजन यह दर्शाता है कि भारत अब केवल उपभोक्ता बाजार नहीं रहा, बल्कि वह वैश्विक विमानन रणनीति का केंद्र बन रहा है।


हवाई किराए अब पहले की तुलना में बहुत कम हो चुके हैं, और कुछ मामलों में तो वे रेल किराए से भी प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।