भारत में 5200 वर्ष जीवित अश्वत्थामा: महादेव के भक्त का रहस्य
अश्वत्थामा: एक अद्भुत मानव
भारत में एक ऐसा व्यक्ति है, जो 6000 वर्षों से जीवित है और भगवान शिव का अनन्य भक्त है। वह सुबह सबसे पहले जागता है, गंगा में स्नान करता है और शिवलिंग पर फूल और बेलपत्र अर्पित कर महादेव की पूजा करता है।
कहा जाता है कि जब भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल जिले में होगा, तब यह मानव भगवान कल्कि के साथ मिलकर अंतिम युद्ध लड़ेगा। यह महामानव कोई और नहीं, बल्कि अश्वत्थामा हैं। उन्हें उनके पिता द्रोणाचार्य की मृत्यु का बदला लेने के लिए श्राप मिला था, जिसके कारण वह युगों-युगों तक भटकते रहे।
हिंदू मान्यता के अनुसार, अश्वत्थामा की आयु 5200 वर्ष है। कलियुग की शुरुआत 3102 ईसा पूर्व से मानी जाती है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कुरुक्षेत्र युद्ध के समय उनकी आयु 78 वर्ष थी। अश्वत्थामा, गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे और जन्म से ही धनुर्विद्या में निपुण थे। मान्यता है कि वह कलियुग के अंत तक जीवित रहेंगे।
मध्य प्रदेश के महू से लगभग 12 किलोमीटर दूर विंध्याचल की पहाड़ियों में खोदरा महादेव की जगह को अश्वत्थामा की तपस्थली माना जाता है। कहा जाता है कि वह आज भी यहां आते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, सबसे पहला युग सतयुग था, जो 17,28,000 वर्षों तक चला। इसके बाद त्रेतायुग और द्वापरयुग का समय आया। अंत में, कलियुग की आयु लगभग 4,32,000 वर्ष है, जिसमें मनुष्य की अधिकतम आयु 100 वर्ष मानी गई है। इस युग में भगवान कल्कि का अवतार होगा, और अश्वत्थामा उनके साथ युद्ध करेंगे।
अश्वत्थामा महाभारत काल के महान योद्धाओं में से एक थे। वह गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र और कुरु वंश के राजगुरु कृपाचार्य के भांजे थे। महाभारत के युद्ध के दौरान, द्रोणाचार्य ने कौरवों का साथ दिया, जिसके परिणामस्वरूप अश्वत्थामा ने पांडवों का वध किया।
महाभारत के युद्ध के बाद, अश्वत्थामा ने पांडव पुत्रों का वध करने के लिए ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें श्राप दिया कि वह युगों-युगों तक भटकते रहेंगे। कहा जाता है कि अश्वत्थामा को भारत के विभिन्न स्थानों पर देखा गया है, जैसे कानपुर और मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में।
भविष्य पुराण के अनुसार, जब मानवता का पतन होगा, तब भगवान विष्णु कल्कि अवतार लेकर आएंगे और अश्वत्थामा उनके साथ अधर्म के खिलाफ लड़ाई करेंगे। अश्वत्थामा का भटकना धर्म की रक्षा के लिए है, और वह तब तक भटकते रहेंगे जब तक कि वह मोक्ष नहीं प्राप्त कर लेते।