भारत बनेगा वैश्विक हीरा व्यापार का प्रमुख, खूनी हीरों पर बढ़ेगी निगरानी
भारत की नई भूमिका: किम्बरली प्रोसेस का चेयरमैन
दुनिया के हीरा उद्योग में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन होने जा रहा है। 1 जनवरी 2026 से भारत किम्बरली प्रोसेस (Kimberley Process) का अध्यक्ष बनेगा, जिससे खूनी हीरों पर निगरानी की जिम्मेदारी भी भारत के पास आएगी। यह एक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था है जो यह सुनिश्चित करती है कि रफ डायमंड्स का उपयोग युद्ध या हिंसा के लिए न किया जाए।
हीरों की चमक के पीछे की हिंसा
हीरे को अक्सर प्रेम और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, लेकिन इसके पीछे कई बार हिंसा की दुखद कहानियाँ छिपी होती हैं। अफ्रीका के कई क्षेत्रों में हीरे युद्ध का साधन बन गए हैं, जिससे कॉन्फ्लिक्ट डायमंड या ब्लड डायमंड का शब्द प्रचलित हुआ।
किम्बरली प्रोसेस की जानकारी
किम्बरली प्रोसेस एक अंतरराष्ट्रीय पहल है, जिसकी शुरुआत 1 जनवरी 2003 को संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से हुई थी। इसमें सरकारें, हीरा उद्योग और नागरिक समाज मिलकर यह सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी रफ डायमंड हिंसा या आतंकवाद के लिए उपयोग न हो। वर्तमान में इसमें 60 देश और संस्थाएँ शामिल हैं।
भारत को यह जिम्मेदारी क्यों मिली?
भारत दुनिया का सबसे बड़ा डायमंड कटिंग और पॉलिशिंग केंद्र है। सूरत इस उद्योग का मुख्य केंद्र है, और लाखों लोगों की आजीविका इससे जुड़ी है। अधिकांश पॉलिश्ड डायमंड भारत से होकर बाजार में पहुँचते हैं, जिससे भारत की सख्ती वैश्विक हीरा व्यापार को अधिक पारदर्शी बना सकती है।
भारत का चेयरमैनशिप एजेंडा
भारत अपने कार्यकाल में डिजिटल सर्टिफिकेशन, खदान से बाजार तक हीरे की ट्रेसबिलिटी, डेटा आधारित निगरानी और सिस्टम की खामियों को दूर करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को यह विश्वास दिलाना है कि उनका खरीदा हीरा खून से मुक्त है।
सरकार का वैश्विक संदेश
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इसे भारत पर बढ़ते वैश्विक विश्वास का प्रतीक बताया। 1 जनवरी 2026 से भारत न केवल हीरा प्रोसेसिंग का केंद्र रहेगा, बल्कि वैश्विक हीरा व्यापार में नियम बनाने वाली एक महत्वपूर्ण शक्ति भी बनेगा।