भारत पर अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव: 25% अतिरिक्त शुल्क लागू
अमेरिका ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लागू किया है, जिससे कुल शुल्क 50% हो गया है। यह निर्णय भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद से पीछे हटने से इनकार करने के बाद लिया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारतीय निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, खासकर कपड़ा और रत्न जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में। प्रधानमंत्री मोदी ने आत्मनिर्भरता पर जोर दिया है और कहा है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेगा। जानें इस टैरिफ के संभावित प्रभाव और अमेरिका की रणनीति के बारे में।
Aug 27, 2025, 10:28 IST
अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ का असर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर रूसी तेल खरीद पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लागू किया गया है, जिससे कुल दंडात्मक शुल्क 50 प्रतिशत तक पहुँच गया है। यह निर्णय नई दिल्ली द्वारा रूसी तेल की खरीद से पीछे हटने से इनकार करने के बाद लिया गया। यह बढ़ा हुआ शुल्क आज सुबह 9:30 बजे से प्रभावी हुआ। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस वृद्धि का निर्यातकों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और विकास की संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है।
भारतीय निर्यात पर टैरिफ का प्रभाव
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ से भारतीय निर्यात पर 60.2 अरब डॉलर का असर पड़ने की संभावना है। कपड़ा, रत्न, आभूषण, झींगा, कालीन और फर्नीचर जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में निर्यात में 70% तक की कमी आ सकती है, जिससे लाखों श्रमिक प्रभावित होंगे। ये शुल्क भारत के अमेरिका को होने वाले निर्यात का लगभग 66 प्रतिशत हिस्सा कवर करते हैं, जिसका मूल्य वित्त वर्ष 2025 में 86.5 अरब डॉलर होगा। यदि ये शुल्क लागू रहते हैं, तो अगले वर्ष निर्यात घटकर 49.6 अरब डॉलर रह सकता है, और चीन, वियतनाम और मेक्सिको जैसे प्रतिस्पर्धी देश इस स्थिति का लाभ उठा सकते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया
टैरिफ की घोषणा से पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भरता भारतीयों के लिए एक जीवनशैली होनी चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि विदेशी निवेश से निर्मित वस्तुएँ, जैसे कि जापान की सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन, भी स्वदेशी मानी जाती हैं।
ट्रंप प्रशासन की स्थिति
ट्रंप प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि अतिरिक्त शुल्क लगाने में कोई देरी नहीं होगी और इस संबंध में एक मसौदा अधिसूचना जारी की गई है। राष्ट्रपति ट्रंप के अनुसार, इन उच्च शुल्कों का उद्देश्य रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन के साथ बातचीत के लिए प्रेरित करना है।
निर्यातक समूहों की चिंताएँ
रिपोर्टों के अनुसार, निर्यातक समूहों का मानना है कि शुल्क वृद्धि से अमेरिका को भारत के लगभग 55 प्रतिशत व्यापारिक निर्यात पर असर पड़ सकता है, जिसका मूल्य लगभग 87 अरब डॉलर है। प्रभावित क्षेत्रों में कपड़ा, रत्न एवं आभूषण, झींगा निर्यात और चमड़ा उत्पाद शामिल हैं। मूडीज़ एनालिटिक्स ने चेतावनी दी है कि नए अमेरिकी टैरिफ से निर्यात की मांग में भारी कमी आएगी।
भारत की प्रतिक्रिया
अहमदाबाद में कई परियोजनाओं का उद्घाटन करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत किसानों, छोटे उद्योगों और घरेलू उत्पादकों के हितों से समझौता नहीं करेगा। उन्होंने नागरिकों से स्वदेशी वस्तुओं को प्राथमिकता देने का आग्रह किया।
अमेरिकी टैरिफ का कार्यान्वयन
अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने वाले एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जो 6 अगस्त, 2025 को प्रभावी होगा। यह आदेश 27 अगस्त से लागू होगा।
भारत की ऊर्जा सुरक्षा
भारत ने अभी तक रूस से तेल खरीद पर कोई निर्देश जारी नहीं किया है। भारतीय दूत ने कहा कि भारत सर्वोत्तम सौदों वाले स्रोतों से तेल खरीदना जारी रखेगा, ताकि 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
अमेरिका का सार्वजनिक नोटिस
अमेरिका ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया है, जिसमें भारत से आयात पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया है, जो 27 अगस्त को प्रभावी होगा। यह नोटिस राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकारी आदेश को लागू करता है।
आर्थिक दबाव की रणनीति
उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने इस रणनीति का बचाव करते हुए इसे रूस के खिलाफ "आक्रामक आर्थिक दबाव" बताया। उन्होंने कहा कि अमेरिका के पास अभी भी कई विकल्प हैं।
भारत की व्यापारिक स्थिति
मार्च और जुलाई 2025 के बीच भारतीय अधिकारियों के साथ वार्ताएँ ठोस परिणाम देने में विफल रहीं। राष्ट्रपति ट्रंप ने भारतीय आयातों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का निर्णय लिया, जिसका प्रभावी तिथि 7 अगस्त, 2025 है।
विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया
विदेश मंत्रालय ने पहले टैरिफ को "अनुचित और अविवेकपूर्ण" बताया था और चेतावनी दी थी कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।