भारत का श्रीलंका दौरा: एस जयशंकर की महत्वपूर्ण वार्ता
भारत और श्रीलंका के बीच संबंधों को मजबूत करने की कोशिश
भारत का पड़ोसी बांग्लादेश वर्तमान में गंभीर हिंसा का सामना कर रहा है, और इस स्थिति में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। इस बीच, भारत और बांग्लादेश के रिश्ते बिगड़ते जा रहे हैं। जबकि बांग्लादेश में अशांति है, प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंका के लिए अपने विशेष दूत को भेजा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर इस विशेष मिशन पर श्रीलंका पहुंचे हैं। आज, यानी मंगलवार को, वह श्रीलंका के शीर्ष नेताओं के साथ बातचीत करेंगे, जिससे भारत-श्रीलंका संबंधों में नई दिशा मिल सकती है.
विदेश मंत्री जयशंकर सोमवार को श्रीलंका पहुंचे और इस दौरे का उद्देश्य महत्वपूर्ण वार्ता करना है। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत श्रीलंका को मानवीय सहायता प्रदान कर रहा है, जबकि बांग्लादेश के साथ संबंधों में तनाव बढ़ रहा है.
जयशंकर की वार्ता का एजेंडा क्या होगा, इसकी आधिकारिक जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है। लेकिन यह स्पष्ट है कि दोनों देश अपने संबंधों को और मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण चर्चा करेंगे। भारत ने हमेशा आपदा के समय में श्रीलंका का समर्थन किया है, जैसा कि वह अन्य देशों के लिए भी करता है.
जयशंकर के दौरे के दौरान, श्रीलंका के नेताओं के साथ सहायता समन्वय, दीर्घकालिक पुनर्प्राप्ति योजना और भारत के 'नेबरहुड फर्स्ट' ढांचे के तहत सहयोग पर चर्चा की जाएगी। यह यात्रा यह दर्शाती है कि नई दिल्ली न केवल आपदा राहत में बल्कि क्षेत्रीय साझेदारी को मजबूत करने में भी श्रीलंका का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है.
ऑपरेशन सागर बंधु के तहत, भारत ने 28 नवंबर से श्रीलंका को 1,134 टन से अधिक मानवीय सहायता प्रदान की है, जिसमें सूखा राशन, तिरपाल, स्वच्छता किट, कपड़े, जल शुद्धिकरण प्रणालियाँ, और दवाइयाँ शामिल हैं. भारतीय नौसेना के कई जहाजों ने कोलंबो और त्रिंकोमाली तक राहत सामग्री पहुंचाई है.
राहत कार्यों में NDRF की दो टीमों ने खोज एवं बचाव अभियान चलाया, जबकि भारतीय सेना के 85 सदस्यीय फील्ड हॉस्पिटल ने 7,000 से अधिक मरीजों को चिकित्सा सहायता प्रदान की। इसके अलावा, महत्वपूर्ण संपर्क व्यवस्था बहाल करने के लिए 48 इंजीनियरों के साथ 248 टन बेली ब्रिज के घटकों को हवाई मार्ग से श्रीलंका भेजा गया.