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प्रधानमंत्री मोदी की घाना यात्रा: भारत-घाना संबंधों में नई ऊँचाई

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घाना की यात्रा शुरू की है, जो भारत और घाना के बीच ऐतिहासिक संबंधों को और मजबूत करेगी। यह यात्रा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊँचाई पर ले जाएगी, बल्कि चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच भारत की रणनीतिक स्थिति को भी सुदृढ़ करेगी। मोदी की यात्रा से व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और तकनीकी सहयोग में वृद्धि की उम्मीद है। जानें इस यात्रा के पीछे के कारण और इसके संभावित लाभ।
 

प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा का प्रारंभ

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज ब्राजील सहित पांच देशों की एक सप्ताह की यात्रा शुरू की, जिसमें उनका पहला पड़ाव अफ्रीकी देश घाना है। मोदी घाना के राष्ट्रपति जॉन ड्रामानी महामा के निमंत्रण पर बुधवार और बृहस्पतिवार को वहां रहेंगे। यह यात्रा प्रधानमंत्री मोदी की घाना के लिए पहली द्विपक्षीय यात्रा है और तीन दशकों में भारत के किसी प्रधानमंत्री की पहली यात्रा होगी। प्रधानमंत्री घाना की संसद को भी संबोधित करेंगे। यात्रा पर निकलने से पहले उन्होंने कहा, "हम दोनों लोकतांत्रिक देश हैं, इसलिए घाना की संसद में संबोधन देना मेरे लिए गर्व की बात है।"


भारत-घाना संबंधों का इतिहास

भारत और घाना के बीच संबंधों की शुरुआत 1957 में घाना की स्वतंत्रता के साथ हुई थी। भारत, घाना की स्वतंत्रता को मान्यता देने वाला पहला देश था। दोनों देशों के संस्थापक नेताओं, पं. जवाहरलाल नेहरू और डॉ. क्वामे एन्क्रूमा के बीच गहरे वैचारिक और राजनीतिक संबंध थे। घाना में महात्मा गांधी की प्रतिमा और भारत में अफ्रीकी संस्कृति के प्रचार-प्रसार के प्रयास इस सांस्कृतिक निकटता के प्रमाण हैं।


वर्तमान द्विपक्षीय सहयोग

भारत, घाना के प्रमुख व्यापार साझेदारों में से एक है। भारत से आयातित उत्पादों में दवाइयाँ, वाहन, मशीनरी, टेक्सटाइल और खाद्य प्रसंस्करण उपकरण शामिल हैं। इसके अलावा, भारत ने घाना में सौर ऊर्जा, ग्रामीण विद्युतीकरण और जल प्रबंधन परियोजनाओं में निवेश किया है। भारत घाना को तकनीकी सहयोग के तहत ITEC और ICCR छात्रवृत्तियाँ भी प्रदान करता है।


चीन का बढ़ता प्रभाव

प्रधानमंत्री मोदी की घाना यात्रा भारत की 'Act Africa' नीति को मजबूत करने का संकेत है। यह यात्रा केवल औपचारिक नहीं, बल्कि रणनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। भारत को अफ्रीका में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच घाना जैसे लोकतांत्रिक देशों के साथ गहरे संबंध स्थापित करने का अवसर मिलेगा।


घाना में चीनी निवेश

चीन और घाना के बीच पिछले दो दशकों में राजनीतिक, आर्थिक, अवसंरचनात्मक और सांस्कृतिक सहयोग में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। चीन ने घाना में कई महत्वपूर्ण परियोजनाएँ प्रायोजित की हैं, जैसे कि बुई बांध और तमाले इंटरनेशनल एयरपोर्ट।


भारत-घाना संबंधों का भविष्य

प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा से व्यापार समझौतों के माध्यम से दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होगा। इसके अलावा, योग, आयुर्वेद, बॉलीवुड और भारतीय खानपान के माध्यम से सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा मिलेगा। यह यात्रा न केवल भारत की अफ्रीका नीति का विस्तार करेगी, बल्कि समावेशी वैश्विक विकास के लिए एक नई दिशा भी तय करेगी।