प्रधानमंत्री मोदी का गुजरात दौरा: आदिवासी समुदाय के लिए नई योजनाओं की घोषणा
गुजरात में प्रधानमंत्री का प्रभावशाली दौरा
गुजरात में शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरा खास रहा। डेडियापाडा में उनके आगमन पर भीड़ में उत्साह और उम्मीदें दोनों देखने को मिलीं। आदिवासी क्षेत्रों में उनका यह दौरा केवल एक सरकारी कार्यक्रम नहीं था, बल्कि एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संदेश भी था। पीएम ने सभा में आते ही कहा, 'मैं देश का पहला प्रधानमंत्री हूं, जो भगवान बिरसा मुंडा के घर गया था।' इस पर उपस्थित लोगों ने तालियों से उनका स्वागत किया। उनके बोलने का तरीका स्पष्ट था, जिसमें उन्होंने आदिवासी समाज की पिछली सरकारों से शिकायतों को उठाया।
कांग्रेस पर तीखा हमला
मोदी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने छह दशकों तक देश का शासन किया, लेकिन आदिवासी क्षेत्रों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। उन्होंने कुपोषण, शिक्षा की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, और खराब सड़कें जैसे मुद्दों का जिक्र किया। सभा में उपस्थित लोगों के चेहरे पर इन बातों का असर स्पष्ट था। आदिवासी क्षेत्रों में खराब सुविधाओं की चर्चा अक्सर सुनने को मिलती है।
पूजा, रोड शो और विकास योजनाएं
प्रधानमंत्री ने देवमोगरा मंदिर में पूजा की, जहां पंडोरी माता की पूजा की जाती है। इसके बाद उन्होंने चार किलोमीटर लंबा रोड शो किया, जिसमें हजारों आदिवासी लोग शामिल हुए। बच्चों ने पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किया और महिलाएं रंगीन परिधानों में तालियां बजाती रहीं। पीएम ने लगभग 9700 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।
आदिवासी नेतृत्व को प्रोत्साहन
मोदी ने कहा कि NDA सरकार ने हमेशा आदिवासी नेतृत्व को प्राथमिकता दी है। उन्होंने छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड और मध्य प्रदेश के उदाहरण देते हुए कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में अस्पताल, क्लिनिक, और स्कूल तेजी से बन रहे हैं।
शिक्षा में सुधार
मोदी ने बताया कि गुजरात के कई क्षेत्रों में पहले साइंस स्कूल नहीं थे, लेकिन अब वहां हजारों स्कूल और कॉलेज हैं। उन्होंने कहा कि बीस साल पहले जो बच्चे उनसे मिलने आते थे, वही अब डॉक्टर और इंजीनियर बन चुके हैं।
बिरसा मुंडा का महत्व
पूरे भाषण में बिरसा मुंडा का उल्लेख बार-बार किया गया। मोदी ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में आदिवासी समाज के योगदान को भुला दिया गया था। उन्होंने बताया कि सरकार देशभर में Tribal Museums बना रही है ताकि नई पीढ़ी को इस संघर्ष के बारे में जानकारी मिल सके।
बिहारियों से मुलाकात
दिल्ली लौटने से पहले, पीएम सूरत एयरपोर्ट पर बिहार से जुड़े समुदायों से भी मिलेंगे, जहां अनुमानित 10 से 15 हजार लोग एकत्र होंगे।