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पाकिस्तान में जनरल असिम मुनीर की नई शक्तियाँ: सेना का नया बादशाह

पाकिस्तान में जनरल असिम मुनीर को मिली नई शक्तियाँ उन्हें देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बना देती हैं। इस बदलाव से न केवल उनकी जिम्मेदारियाँ बढ़ी हैं, बल्कि प्रधानमंत्री की स्थिति भी कमजोर हुई है। जानें कैसे यह नया पद पाकिस्तान की राजनीति और सुरक्षा पर गहरा प्रभाव डालेगा। क्या यह सैन्य तानाशाही की ओर इशारा करता है? इस लेख में हम इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम का विश्लेषण करेंगे।
 

पाकिस्तान में असिम मुनीर की नई भूमिका


4 दिसंबर 2025 को पाकिस्तान में एक महत्वपूर्ण घटना घटी, जब जनरल असिम मुनीर को ‘पाकिस्तान का बादशाह’ घोषित किया गया। राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने उन्हें देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDF) नियुक्त किया है। अब सेना, नौसेना और वायुसेना सभी उनके आदेशों का पालन करेंगे। इस नई स्थिति ने मुनीर को अपार शक्ति प्रदान की है, जिससे हर कोई चकित है। इस मामले में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की भी कोई नहीं चली। आइए जानते हैं पूरी कहानी।

असिम मुनीर का नया पद
असिम मुनीर को जो नया पद मिला है, वह Chief of Defence Forces (CDF) कहलाता है, जिससे वह पाकिस्तान की सभी सशस्त्र बलों के शीर्ष कमांडर बन गए हैं। यह एक नया पद है, जिसे 27वें संवैधानिक संशोधन के तहत स्थापित किया गया है। इसके साथ ही, वह अपने पुराने पद Chief of Army Staff (COAS) को भी बनाए रखेंगे। इसका अर्थ है कि उनकी जिम्मेदारियाँ अब दोगुनी हो गई हैं। अब उनके पास सेना के साथ-साथ वायुसेना और नौसेना का भी नियंत्रण होगा। इसके अलावा, नए कानून के अनुसार, वह अगले पांच वर्षों तक इस पद पर बने रह सकते हैं।

संविधान में दी गई विशेष सुरक्षा
27वें संशोधन में यह स्पष्ट किया गया है कि फील्ड मार्शल असिम मुनीर पर जीवनभर कोई भी कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती। न तो भ्रष्टाचार के मामले में और न ही हत्या के मामले में। इसका मतलब है कि वह अपनी पूरी जिंदगी वर्दी में रहेंगे और उन पर कोई भी कार्रवाई नहीं कर सकेगा। यह सुरक्षा राष्ट्रपति से भी अधिक मजबूत है।

प्रधानमंत्री की स्थिति में बदलाव
पहले प्रधानमंत्री सेना प्रमुख को हटा सकते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। असिम मुनीर को हटाने के लिए संसद में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी। इसका मतलब है कि शहबाज शरीफ, बिलावल और नवाज शरीफ जैसे नेता अब उनके सामने छोटे हो गए हैं। अब न्यूक्लियर बटन भी सीधे उनके हाथ में है।

पाकिस्तान की राजनीति पर प्रभाव
इस बदलाव से सिविलियन सरकार की स्थिति कमजोर होगी। प्रधानमंत्री अब सेना पर पहले जैसा नियंत्रण नहीं रख पाएंगे। अधिकांश सुरक्षा और रणनीतिक निर्णय अब असिम मुनीर द्वारा लिए जाएंगे। राजनीतिक अस्थिरता के समय में सेना की शक्ति और बढ़ेगी। विदेश नीति में भी मुनीर की भूमिका महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि वे सीधे अमेरिका, चीन, सऊदी अरब और IMF जैसे देशों से संवाद कर सकते हैं।

पाकिस्तान के लिए इसका महत्व
सत्ता का केंद्र अब “सिविलियन” से हटकर “मिलिटरी” की ओर बढ़ गया है। आंतरिक राजनीति पर सेना का प्रभाव बढ़ेगा और उनका संस्थागत ढांचा और अधिक केंद्रीकृत होगा। भविष्य के राजनीतिक निर्णयों पर उनका नियंत्रण बना रहेगा। कुल मिलाकर, असिम मुनीर अब केवल सेना के प्रमुख नहीं हैं, बल्कि पूरे देश के नंबर-1 मिलिटरी पावर सेंटर बन चुके हैं। उनके पास जो शक्ति है, वह पाकिस्तान के किसी भी जनरल के पास पहले कभी नहीं रही।

जनता और इमरान खान की प्रतिक्रिया
इमरान खान की पार्टी PTI ने इसे “असिम मुनीर लॉ” करार दिया है। लोग कह रहे हैं कि “लोकतंत्र समाप्त हो गया, अब केवल जनरल साहब का राज है।” सोशल मीडिया पर #MilitaryDictatorship2.0 और #AsimMunirKing जैसे ट्रेंड चल रहे हैं। अब लोग धीरे-धीरे मानने लगे हैं कि पाकिस्तान में सैन्य तानाशाही का आगाज हो चुका है।