नेहरू स्टेडियम का नया रूप: आधुनिक स्पोर्ट्स सिटी का निर्माण
नेहरू स्टेडियम का पुनर्विकास
दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम को अब बुलडोजर का सामना करना पड़ेगा। मोदी सरकार ने इस ऐतिहासिक स्थल को तोड़कर एक नई और आधुनिक 'स्पोर्ट्स सिटी' बनाने का निर्णय लिया है। यह वही स्टेडियम है जिसने 1982 के एशियाई खेलों और 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स की मेज़बानी की थी। अब इसे एक नए और आकर्षक रूप में ढालने की योजना बनाई जा रही है, जिससे खिलाड़ी भी प्रसन्न होंगे।
सरकार की योजना
खेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार इस समय उन शहरों का अध्ययन कर रही है, जहां स्पोर्ट्स सिटी का विकास किया गया है। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट की कोई निश्चित समयसीमा नहीं है। हम दोहा जैसी स्पोर्ट्स सिटी के मॉडल पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। जब अध्ययन पूरा हो जाएगा, तब हम योजना के अगले चरण में जाएंगे।
इतिहास और विकास
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम का निर्माण पहली बार 1982 के एशियाई खेलों के लिए किया गया था। इसके बाद, 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले इसे 961 करोड़ रुपये की लागत से नवीनीकरण किया गया था। हाल ही में, वर्ल्ड पारा एथलेटिक्स चैंपियनशिप से पहले इसके अपग्रेडेशन पर 50 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इस स्टेडियम की 60,000 दर्शक क्षमता इसे देश के सबसे बड़े खेल परिसरों में से एक बनाती है।
वर्तमान सुविधाएं
इस परिसर में मुख्य फुटबॉल और एथलेटिक्स स्टेडियम के अलावा आर्चरी अकादमी, बैडमिंटन कोर्ट, खेल प्राधिकरण (SAI) के कार्यालय, नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (NADA) और नेशनल डोप टेस्टिंग लैबोरेटरी जैसी कई इकाइयां कार्यरत हैं। सूत्रों के अनुसार, इन सभी कार्यालयों को अन्य स्थानों पर स्थानांतरित किया जाएगा। मौजूदा स्टेडियम को ध्वस्त किया जाएगा और नए आवासीय परिसर बनाए जाएंगे ताकि खिलाड़ी प्रतियोगिताओं के दौरान यहीं ठहर सकें।
102 एकड़ का क्षेत्र
नेहरू स्टेडियम परिसर लगभग 102 एकड़ में फैला हुआ है। मंत्रालय का मानना है कि इस भूमि का एक बड़ा हिस्सा अभी भी खाली या कम उपयोग में है। सरकार इस क्षेत्र का पुनर्विकास कर एक समेकित स्पोर्ट्स हब के रूप में विकसित करना चाहती है, जिसमें प्रशिक्षण केंद्र, स्टेडियम, आवासीय क्षेत्र और आधुनिक बुनियादी ढांचा शामिल हो। हाल ही में यहां पारा एथलेटिक्स चैंपियनशिप से पहले दो नए मॉडर्न ट्रैक बिछाए गए थे और 10,000 नई सीटें जोड़ी गई थीं।
दोहा मॉडल पर ध्यान
सरकार जिस मॉडल पर विचार कर रही है, उसमें प्रमुख है दोहा स्पोर्ट्स सिटी। कतर की राजधानी दोहा में 618 एकड़ में फैला यह परिसर 2006 एशियाई खेलों के लिए बनाया गया था और 2022 फीफा वर्ल्ड कप की मेज़बानी भी यहीं हुई। भारत इसी तरह का समेकित स्पोर्ट्स मॉडल दिल्ली में लागू करना चाहता है ताकि बड़े टूर्नामेंट की मेज़बानी और प्रशिक्षण में देश को लाभ मिल सके।
कोच भर्ती अभियान
इस बीच, खेल प्राधिकरण (SAI) ने 2017 के बाद अपनी सबसे बड़ी कोच भर्ती अभियान की घोषणा की है। कुल 320 कोचों की भर्ती 25 खेल विधाओं में की जाएगी, जिनमें से 50 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे। हॉकी, कुश्ती, मुक्केबाज़ी और एथलेटिक्स जैसे प्रमुख खेलों के साथ-साथ अब ध्यान कायाकिंग और कैनोइंग जैसे जल-खेलों पर भी होगा, खासकर अगले साल होने वाले एशियाई खेलों को देखते हुए।
खेल बुनियादी ढांचे में बदलाव
नेहरू स्टेडियम का पुनर्विकास केवल एक इमारत का परिवर्तन नहीं है, बल्कि यह भारत के खेल ढांचे में बड़े बदलाव की दिशा में एक कदम है। सरकार का लक्ष्य है कि खेलों को केवल आयोजनों तक सीमित न रखकर इसे एक उद्योग और संस्कृति के रूप में विकसित किया जाए। यदि यह परियोजना सफल होती है, तो यह भारत की राजधानी में एक ऐसा खेल नगर होगा जो एथलीटों के लिए प्रशिक्षण, प्रतियोगिता और आवास की सभी सुविधाएं एक ही परिसर में उपलब्ध कराएगा।