दिलीप कुमार और राज कपूर के पैतृक घरों को बनाया जाएगा संग्रहालय
पेशावर में ऐतिहासिक घरों का नवीनीकरण
पाकिस्तान के पेशावर शहर में दिलीप कुमार और राज कपूर के पैतृक निवासों को संग्रहालय में परिवर्तित किया जाएगा। इस नवीनीकरण और पुनर्निर्माण की प्रक्रिया सोमवार से शुरू हुई, जो लगभग दो वर्षों तक चलेगी। पुरातत्व निदेशक डॉ. अब्दुस समद ने बताया कि इस परियोजना की लागत लगभग 70 मिलियन रुपये होगी। यह परियोजना तब शुरू हुई जब 11 साल पहले पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इन घरों को राष्ट्रीय धरोहर स्थल घोषित किया था।
परियोजना का उद्देश्य
डॉ. समद ने आगे बताया कि इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य प्रांत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा करना और धरोहर पर्यटन को बढ़ावा देना है। इस बीच, प्रांतीय सरकार के पर्यटन सलाहकार जहीद खान शिनवारी ने कहा कि ये परियोजनाएँ पर्यटन क्षेत्र में क्रांति लाएंगी।
विश्व बैंक का सहयोग
शिनवारी ने कहा, "विश्व बैंक के सहयोग से, ये परियोजनाएँ प्रांत के पर्यटन क्षेत्र में क्रांति लाएंगी। हमारा लक्ष्य खैबर पख्तूनख्वा के सुंदर सांस्कृतिक स्थलों को विश्वभर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाना है।"
दिलीप कुमार और राज कपूर का इतिहास
1988 में, दिलीप कुमार ने भी अपने पैतृक घर का दौरा किया था। वह 1930 के दशक में अपने परिवार के साथ बंबई (अब मुंबई) चले गए थे। 1997 में, उन्हें पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज से भी सम्मानित किया गया। वहीं, राज कपूर ने विभाजन के समय अपने परिवार के साथ पाकिस्तान छोड़ दिया था। उनका घर 1968 में एक नीलामी में खरीदा गया और फिर पेशावर के एक निवासी को बेच दिया गया। राज कपूर के छोटे भाई शशि कपूर और उनके बेटे रणधीर और ऋषि कपूर ने 1990 में अपने पैतृक घर का दौरा किया।
राज कपूर और दिलीप कुमार की विरासत
दिलीप कुमार और राज कपूर भारतीय सिनेमा के दिग्गज माने जाते हैं। दिलीप कुमार ने 1944 में 'ज्वार भाटा' फिल्म से अपने करियर की शुरुआत की। वह 1940 से 1960 के दशक तक अपने करियर के शीर्ष पर रहे और 'बाबुल', 'अंदाज़', 'मुग़ल-ए-आज़म', 'राम और श्याम', 'गंगा जमना', 'नदिया के पार', 'जोगन', 'गोपी', 'बैराग', 'देवदास', 'लीडर' जैसी कई हिट फिल्मों में काम किया। उनकी आखिरी फिल्म 1998 में 'किला' थी।
राज कपूर की फिल्में
राज कपूर को 'भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा शोमैन' और 'भारतीय सिनेमा का चार्ली चैपलिन' कहा जाता है। उन्हें 'मेरा नाम जोकर', 'श्री 420', 'आवारा', 'बूट पॉलिश', 'नील कमल', 'आग', 'परिवर्तन', 'अंदाज़', 'बरसात', 'अनाड़ी', 'बॉबी' जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है।