डॉ. के. बी. हेडगेवार: स्वतंत्रता संग्राम में योगदान और विरासत
स्वतंत्रता की भावना का प्रारंभ
क्या कोई सोच सकता है कि गुलामी का दर्द एक आठ वर्षीय बच्चे पर इतना गहरा प्रभाव डाल सकता है कि वह भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने का संकल्प ले? डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का बचपन में लिया गया यह छोटा सा संकल्प अनुशासन, मेहनत और जुनून की एक ज्वाला बन गया, जिसने लाखों भारतीयों को स्वतंत्रता के मार्ग पर आगे बढ़ाया। इस मार्ग पर चलकर अनगिनत लोगों ने अपने प्राणों की परवाह किए बिना भारत को स्वतंत्र कराने में योगदान दिया।
डॉ. हेडगेवार का योगदान
प्रसिद्ध देशभक्त डॉ. हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य देश में संगठन और राष्ट्रवाद की भावना को जागृत करना था। भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस पर हमें उन्हें याद करना चाहिए, क्योंकि ब्रिटिश शासन समाप्त होने के बावजूद, उनके प्रयास आज भी भारत को आंतरिक रूप से मजबूत बनाने में प्रासंगिक हैं।
स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास
15 अगस्त 2025 को भारत अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में कई संगठनों और व्यक्तियों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। 1901 से 1942 के बीच, RSS का स्वतंत्रता संग्राम से सीधा और अप्रत्यक्ष संबंध रहा। डॉ. हेडगेवार का मानना था कि राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ-साथ सांस्कृतिक और सामाजिक एकता भी आवश्यक है। यह अवधि यह साबित करती है कि स्वतंत्रता आंदोलन केवल राजनीतिक मोर्चों की कहानी नहीं थी, बल्कि यह विचार, संगठन और अनुशासन की निरंतर यात्रा थी।
प्रारंभिक संघर्ष (1901)
डॉ. हेडगेवार का स्वतंत्रता की भावना से पहला परिचय 1901 में हुआ। आठ साल की उम्र में, उन्होंने सार्वजनिक रूप से ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाई। इससे पहले, 1897 में, प्लेग महामारी के दौरान बाल गंगाधर तिलक की गिरफ्तारी ने उनके अंदर स्वराज की चिंगारी जगा दी थी।
सार्वजनिक जागरूकता और पत्रकारिता (1907–1908)
1907 में, उन्होंने राष्ट्रसेवक जैसे पत्रिकाओं के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक अन्यायों के खिलाफ लिखना शुरू किया। विदेशी शासन के दमनकारी आदेशों की आलोचना, सत्याग्रह का समर्थन और जन जागरूकता अभियान उनके प्रारंभिक कार्यक्षेत्र थे।
पूर्ण स्वतंत्रता का प्रस्ताव (1920)
1920 के कांग्रेस सत्र में, डॉ. हेडगेवार ने पहली बार पूर्ण स्वतंत्रता का प्रस्ताव रखा, जिसे उस समय पारित नहीं किया गया। फिर भी, इस विचार ने आने वाले वर्षों में आंदोलन की दिशा को आकार देने में योगदान दिया।
गैर-भागीदारी आंदोलन में भागीदारी (1921)
1921 में, गैर-भागीदारी आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के कारण डॉ. हेडगेवार को जेल भेजा गया। उन्होंने विश्वास किया कि स्वतंत्रता के लिए केवल आंदोलन ही नहीं, बल्कि अनुशासित संगठन भी आवश्यक हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना (1925)
1925 में, डॉ. हेडगेवार ने नागपुर में RSS की स्थापना की। उनका उद्देश्य एक ऐसा संगठन बनाना था जो देश की स्वतंत्रता संग्राम में देशभक्ति, अनुशासन और संगठनात्मक शक्ति के माध्यम से योगदान दे सके।
सामाजिक जागरूकता और संगठनात्मक विस्तार (1925–1930)
इस अवधि में, सीधे राजनीतिक आंदोलनों से दूरी बनाए रखते हुए, संघ ने समाज में नैतिक और सांस्कृतिक जागरूकता पर ध्यान केंद्रित किया। इन वर्षों में स्वयंसेवक प्रशिक्षण और शाखाओं का विस्तार हुआ।
1930 का नागरिक अवज्ञा आंदोलन
हालांकि RSS ने इस आंदोलन में सीधे भाग नहीं लिया, लेकिन कई स्वयंसेवक व्यक्तिगत रूप से शामिल हुए। डॉ. हेडगेवार ने उन्हें राष्ट्रीय हित के कार्यों में योगदान देने के लिए प्रेरित किया।
1931 में कारावास
1931 में, डॉ. हेडगेवार को फिर से जेल भेजा गया। वहां भी, उन्होंने स्वयंसेवकों के साथ पत्राचार जारी रखा और संगठन के विस्तार के लिए काम किया।
क्विट इंडिया आंदोलन से पहले की गतिविधियाँ (1935–1940)
इन वर्षों में, RSS ने प्रशिक्षण शिविरों, शिक्षा और अनुशासन पर ध्यान केंद्रित किया। 1940 तक, संगठन देश के विभिन्न प्रांतों में स्थापित हो चुका था।
व्यक्तिगत सत्याग्रह का समर्थन (1940)
अगस्त 1940 में, डॉ. हेडगेवार ने स्वयंसेवकों को व्यक्तिगत सत्याग्रह में भाग लेने की स्वतंत्रता दी ताकि वे स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न रूपों से जुड़े रह सकें।
स्वास्थ्य और अंतिम वर्ष (1940–1942)
1940 के बाद, उनकी गतिविधियाँ स्वास्थ्य कारणों से सीमित हो गईं, लेकिन 1942 में उनकी मृत्यु से पहले, उन्होंने संघ के भविष्य के नेतृत्व और दिशा को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया। क्विट इंडिया आंदोलन के दौरान, हालांकि संगठन ने भाग नहीं लिया, कई स्वयंसेवक व्यक्तिगत रूप से गिरफ्तार हुए।
1942 का क्विट इंडिया आंदोलन
RSS ने संगठन के रूप में सीधे भाग नहीं लिया, लेकिन कई स्वयंसेवक व्यक्तिगत रूप से शामिल हुए और गिरफ्तार हुए।
विरासत
1901 से 1942 तक का समय डॉ. हेडगेवार और RSS के वैचारिक आधार की स्थापना का था। उन्होंने स्वतंत्रता को अंतिम लक्ष्य माना, जिसमें संगठन निर्माण, अनुशासन और देशभक्ति पर ध्यान केंद्रित किया। इस अवधि में RSS का योगदान स्वतंत्रता संग्राम से सीधे और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा रहा। डॉ. हेडगेवार का दृष्टिकोण था कि राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ-साथ सांस्कृतिक और सामाजिक एकता भी आवश्यक है।