टेस्ला की अनोखी पूजा: भारतीय परंपरा और आधुनिकता का संगम
टेस्ला की पूजा: एक नई परंपरा
टेस्ला को भी चाहिए भगवान का आर्शीवाद Image Credit source: Social Media
भारत में जब भी कोई नया वाहन घर लाया जाता है, तो उसके साथ एक विशेष परंपरा का पालन किया जाता है, जिसे वाहन पूजा कहा जाता है। यह परंपरा केवल गाड़ियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक विश्वास है कि पूजा से सुरक्षा, सुख और समृद्धि प्राप्त होती है। आमतौर पर लोग अपने नए वाहन को मंदिर ले जाकर या घर पर बुलाए गए पंडित से मंत्रोच्चार के साथ उसका शुभारंभ करते हैं। इसमें नारियल तोड़ना, वाहन पर रोली-कुमकुम का तिलक लगाना और फूलों की माला से सजाना शामिल होता है। समय के साथ गाड़ियां इलेक्ट्रिक और हाई-टेक हो गई हैं, लेकिन यह परंपरा आज भी उतनी ही प्रासंगिक है।
हाल ही में, हैदराबाद के प्रसिद्ध डॉक्टर, डॉ. प्रवीण कोडुरु ने अपनी नई Tesla Model Y की परंपरागत पूजा कराई। उनकी चमकदार अल्ट्रा रेड रंग की कार को देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध रह गया। पूजा के बाद, उन्होंने सोशल मीडिया पर तस्वीरें साझा करते हुए लिखा कि भारत में किसी भी कार को, चाहे वह Tesla ही क्यों न हो, तब तक फाइव स्टार सेफ्टी रेटिंग नहीं मिल सकती जब तक उसकी वाहन पूजा न हो।
तस्वीरों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि लाल रंग की टेस्ला मंदिर के बाहर खड़ी है। कार को फूलों और नारियल से सजाया गया है, और परिवारजन पारंपरिक परिधानों में पूजा में शामिल हो रहे हैं। यह दृश्य परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है। डॉ. कोडुरु की यह पोस्ट तेजी से वायरल हो गई। उनकी इस पहल ने यह भी दिखाया कि परंपरा और आधुनिकता एक साथ चल सकती हैं। जहां एक ओर टेस्ला जैसी कार ऑटोमेशन, इलेक्ट्रिक ड्राइव और फ़्यूचरिस्टिक तकनीक का प्रतीक है, वहीं वाहन पूजा भारतीय भावनाओं और संस्कृति की गहराई को दर्शाती है।
यहां देखिए पोस्ट
एक और यूज़र ने लिखा कि नींबू कुचलना तो जरूरी है, चाहे वह फ़ाइटर जेट ही क्यों न हो। बिना इसके तो स्वीकार नहीं। वहीं किसी ने व्यंग्य में कहा कि क्योंकि हम अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर या विज्ञान पर भरोसा नहीं करते, सब कुछ भगवान सहारे छोड़ देते हैं। इन तमाम प्रतिक्रियाओं के बीच एक बात साफ नजर आती है। भारतीय समाज में परंपराएं समय के साथ बदलती जरूर हैं, लेकिन मिटती नहीं। चाहे कार इलेक्ट्रिक हो या हाई-टेक, घर में प्रवेश करते ही उसका स्वागत पूजा से ही होता है।
दरअसल, भारत में वाहन को केवल परिवहन का साधन नहीं, बल्कि घर के सदस्य की तरह देखा जाता है। गाड़ी परिवार की सुरक्षा से जुड़ी होती है, इसलिए उसकी रक्षा और मंगलकामना के लिए यह पूजा की जाती है। यही कारण है कि टेस्ला जैसी अत्याधुनिक कार भी इस सांस्कृतिक रस्म से गुजरे बिना अधूरी लगती है.