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जीवन में दूसरों की राय से कैसे बचें: एक शिक्षाप्रद कहानी

इस लेख में एक शिक्षाप्रद कहानी के माध्यम से बताया गया है कि कैसे हमें दूसरों की राय से प्रभावित हुए बिना अपने मन की सुननी चाहिए। एक बूढ़ा आदमी और उसका बेटा गधे के साथ यात्रा करते हैं, जहां वे विभिन्न लोगों की टिप्पणियों का सामना करते हैं। यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें अपनी पसंद के अनुसार निर्णय लेना चाहिए और दूसरों की बातों में आकर पछताने से बचना चाहिए।
 

दूसरों की राय से प्रभावित न होने की सीख

कई लोग दूसरों के मामलों में हस्तक्षेप करने की आदत रखते हैं। जब आप कुछ करते हैं, तो वे अपनी राय देने या आपका मजाक उड़ाने में पीछे नहीं रहते। लेकिन एक पुरानी कहावत है, 'लोगों का काम है कहना।' इसलिए, आपको हमेशा अपने मन की सुननी चाहिए। सभी की बातें सुनें, लेकिन वही करें जो आपको सही लगे। अन्यथा, आप जीवन में कभी भी खुश नहीं रह पाएंगे। आइए, इस विचार को एक कहानी के माध्यम से समझते हैं।


बूढ़े आदमी की दुविधा

एक बार, एक बूढ़ा व्यक्ति अपने बेटे के साथ गधा लेकर बाजार जा रहा था। रास्ते में एक व्यक्ति ने कहा, "इस गधे का क्या फायदा है जब इस पर कोई बोझ नहीं है? आप दोनों में से कोई एक इस पर बैठ क्यों नहीं जाता?" यह सुनकर बूढ़े ने अपने बेटे को गधे पर बैठा दिया।



कुछ आगे बढ़ने पर, एक और व्यक्ति ने कहा, "क्या जमाना आ गया है! कामचोर लड़का आराम से गधे पर बैठा है और बूढ़ा पिता उसके पीछे चल रहा है।" यह सुनकर बूढ़े ने बेटे को गधे से उतारकर खुद उस पर बैठ गया। कुछ दूर जाने पर, कुछ महिलाएं बोलीं, "देखो, बूढ़ा खुद बैठा है और बच्चे को पैदल दौड़ा रहा है। उसे बच्चे को भी गधे पर बैठाना चाहिए।" यह सुनकर बूढ़े ने अपने बेटे को फिर से गधे पर बैठा लिया।


अब एक और व्यक्ति ने कहा, "क्या निर्दयी लोग हैं! एक साथ दो लोग गधे पर बैठ गए। इन्हें दया नहीं आई।" यह सुनकर बूढ़े को गुस्सा आया। उसने सोचा, "समझ नहीं आता, क्या करूं? गधे पर न बैठूं तो लोग घूरते हैं, और अगर कोई एक बैठता है तो लोग बुरा भला कहते हैं।" अंत में, बूढ़े और बेटे ने बाकी का रास्ता बिना गधे पर कोई बोझ डाले ही तय किया।


सीख

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दुनिया में हर प्रकार के लोग होते हैं। वे आपको छोटी-छोटी बातों पर टोकेंगे और सलाह देंगे। लेकिन आपको वही करना चाहिए जो आपके मन को सही लगे। लोगों की बातों में आकर कोई निर्णय न लें, वरना पछताते रहेंगे। सभी की बातें सुनें, लेकिन अपने मन की करें।