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जापान के ब्याज दरों में वृद्धि: वैश्विक बाजार पर प्रभाव

बैंक ऑफ जापान ने ब्याज दरों में वृद्धि की घोषणा की है, जो पिछले 30 वर्षों में सबसे ऊंची दर है। यह निर्णय वैश्विक बाजारों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा, विशेषकर भारत में। महंगाई के बढ़ते स्तर के कारण यह कदम उठाया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय का असर केवल दरों पर नहीं, बल्कि बैंक के संकेतों पर भी निर्भर करेगा। जानें इस निर्णय के पीछे के कारण और इसके संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं।
 

ब्याज दरों में वृद्धि का निर्णय


जापान में महंगाई पिछले 43 महीनों से केंद्रीय बैंक के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है। केंद्रीय बैंक का मानना है कि यदि अब भी नरमी दिखाई गई, तो महंगाई और बढ़ सकती है। इसी कारण, कमजोर आर्थिक विकास के बावजूद ब्याज दरों में वृद्धि का जोखिम उठाया जा रहा है।

शुक्रवार को वैश्विक बाजार के लिए एक महत्वपूर्ण दिन होगा। बैंक ऑफ जापान ने 30 वर्षों में पहली बार ब्याज दरों को उच्चतम स्तर पर ले जाने का निर्णय लिया है। इसका प्रभाव केवल जापान तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह भारत सहित वैश्विक शेयर, बॉंड, मुद्रा और पूंजी प्रवाह पर भी असर डालेगा। निवेशकों की नजर अब इस निर्णय से अधिक बैंक ऑफ जापान के संकेतों पर है।

बैंक ऑफ जापान (BoJ) ने 19 दिसंबर को ब्याज दरों में वृद्धि की घोषणा की है। इस निर्णय के बाद, ब्याज दरें पिछले 30 वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। केंद्रीय बैंक ने ओवरनाइट कॉल रेट्स में 25 बेसिस पॉइंट्स की वृद्धि करते हुए इसे 0.75% कर दिया है।

ब्याज दरों में वृद्धि का मुख्य कारण महंगाई है। जापान में महंगाई लगातार केंद्रीय बैंक के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है। BoJ का मानना है कि यदि नरमी दिखाई गई, तो महंगाई और बढ़ सकती है। यही कारण है कि कमजोर विकास के बावजूद ब्याज दरों में वृद्धि का निर्णय लिया गया है।

बैंक ऑफ जापान ने पिछले वर्ष दुनिया की एकमात्र नकारात्मक ब्याज दर नीति को समाप्त कर नीति सामान्यीकरण की प्रक्रिया शुरू की थी। अब यह कदम उसी प्रक्रिया का अगला चरण माना जा रहा है।

ब्याज दरों में वृद्धि से आमतौर पर देश की मुद्रा मजबूत होती है। यही कारण है कि रेट हाइक के बाद जापानी येन में मजबूती की उम्मीद है। वर्तमान में येन डॉलर के मुकाबले 154–157 के दायरे में व्यापार कर रहा है और पिछले कुछ महीनों में कमजोर हुआ है।

यदि येन मजबूत होता है, तो इसका प्रभाव वैश्विक पूंजी प्रवाह पर पड़ेगा। जापान लंबे समय से सस्ता फंड देने वाला देश रहा है। ब्याज दरों में वृद्धि से जापान से बाहर जाने वाला पैसा वापस लौट सकता है।

उभरते बाजारों, जिनमें भारत भी शामिल है, से विदेशी निवेश कुछ समय के लिए दबाव में आ सकता है। डॉलर, येन और अन्य मुद्राओं में उतार-चढ़ाव बढ़ सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार की प्रतिक्रिया केवल रेट हाइक पर नहीं, बल्कि BoJ की भाषा पर निर्भर करेगी। खासकर यह देखा जाएगा कि आगे ब्याज दरें कितनी तेजी से बढ़ सकती हैं।

बैंक के गवर्नर कज़ुओ उएदा पहले कह चुके हैं कि न्यूट्रल रेट का सटीक अनुमान लगाना मुश्किल है। केंद्रीय बैंक इसे 1% से 2.5% के दायरे में मानता है। इसका मतलब है कि आगे की नीति पूरी तरह डेटा और परिस्थितियों पर निर्भर करेगी।

ब्याज दरों में वृद्धि का सीधा असर जापान के बॉंड बाजार पर भी पड़ेगा। 10 साल के जापानी सरकारी बॉंड की यील्ड पहले ही लगभग 1.97% के आसपास है, जो लगभग 18 वर्षों का उच्चतम स्तर है। यदि यील्ड 2.5% तक जाती है, तो जापान सरकार की उधारी लागत तेजी से बढ़ सकती है।

रिपोर्टों के अनुसार, ऐसी स्थिति में 2028 तक सरकार का ब्याज भुगतान लगभग दोगुना हो सकता है। यह ऐसे समय में है, जब जापान अपनी अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए बड़े स्टिमुलस पैकेज चला रहा है।

भारत के लिए यह निर्णय महत्वपूर्ण है क्योंकि विदेशी निवेशक उभरते बाजारों में जोखिम घटा सकते हैं। रुपये पर दबाव बढ़ सकता है। बॉंड यील्ड और इक्विटी में वोलैटिलिटी आ सकती है। हालांकि, भारत की घरेलू स्थिति और विकास की कहानी मजबूत है, लेकिन शॉर्ट टर्म में वैश्विक सेंटिमेंट का असर दिख सकता है।

शुक्रवार को आने वाला BoJ का निर्णय केवल जापान के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है। 30 वर्षों में सबसे ऊंची ब्याज दरें एक नए वैश्विक वित्तीय चरण की शुरुआत हैं। अब बाजार इस बात पर ध्यान केंद्रित कर रहा है कि BoJ कितना सख्त और कितना सावधान रुख अपनाता है, क्योंकि असली प्रभाव, निर्णय के बाद बोले गए शब्दों से तय होगा.