जम्मू-कश्मीर में बाढ़ की स्थिति गंभीर, पाकिस्तान को भी किया गया सतर्क
जम्मू-कश्मीर में बाढ़ की गंभीरता
जम्मू-कश्मीर में पिछले तीन दिनों से हो रही भारी बारिश ने स्थिति को गंभीर बना दिया है। नदियों और नालों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है, जिसके कारण जम्मू के कई निचले क्षेत्र जलमग्न हो गए हैं। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात को रोक दिया गया है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बाढ़ नियंत्रण उपायों की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया और आपातकालीन कार्यों के लिए अतिरिक्त धनराशि जारी करने की घोषणा की। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा कि जम्मू के कई क्षेत्रों में स्थिति काफी गंभीर है और वह स्वयं श्रीनगर से जम्मू जाकर हालात का जायजा लेंगे.
पाकिस्तान को बाढ़ के खतरे के प्रति चेतावनी
इस बीच, भारत ने पाकिस्तान को भी बाढ़ के प्रति सतर्क किया है। जानकारी के अनुसार, सिंधु नदी प्रणाली से जुड़े जलाशयों और नदियों में जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे पाकिस्तान के सिंध बेसिन में भी खतरा उत्पन्न हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सिंधु जल संधि फिलहाल राजनीतिक कारणों से निलंबित है, लेकिन प्राकृतिक आपदाओं और मानव सुरक्षा के मद्देनज़र भारत ने सूचना साझा करने का निर्णय लिया है। बाढ़ जैसी आपात स्थिति में समय पर सूचना देना मानवीय दृष्टिकोण और अंतरराष्ट्रीय दायित्व दोनों के लिए आवश्यक है.
भारत का मानवीय दृष्टिकोण
भारत के जल संसाधन मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि यह कदम किसी कूटनीतिक पहल का हिस्सा नहीं है, बल्कि पड़ोसी देश में संभावित बड़े मानवीय संकट से बचाने के उद्देश्य से उठाया गया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सिंधु नदी प्रणाली में बढ़ते जल स्तर से पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांत में रहने वाली आबादी अचानक बाढ़ की चपेट में न आ जाए.
मानवीय सरोकार और आपदा प्रबंधन
जम्मू-कश्मीर में बारिश से बिगड़ती स्थिति और जम्मू में गंभीर बाढ़ संकट ने न केवल स्थानीय प्रशासन को सतर्क किया है, बल्कि भारत को सीमा पार पाकिस्तान को भी चेतावनी देने की आवश्यकता पड़ी है। यह स्थिति दर्शाती है कि भले ही संधि राजनीतिक रूप से स्थगित हो, लेकिन मानवीय सरोकार और आपदा प्रबंधन के बुनियादी सिद्धांत किसी समझौते पर निर्भर नहीं होते.