चीन का नया के वीजा: वैश्विक पेशेवरों के लिए अवसर
चीन का के वीजा: एक नई शुरुआत
चीन 1 अक्टूबर से के वीजा की शुरुआत कर रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय पेशेवरों को चीन में काम करने का अवसर प्रदान करेगा। इस वीजा के बारे में जानने के लिए, हम आपको इसके महत्व और अमेरिका के एच1बी वीजा से इसके अंतर के बारे में जानकारी देंगे।
एच1बी वीजा पर ट्रंप का नया निर्णय
ट्रंप प्रशासन ने एच1बी वीजा की चयन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव करने का प्रस्ताव रखा है। अब वीजा प्राप्त करने का अवसर केवल लॉटरी पर निर्भर नहीं करेगा, बल्कि यह उम्मीदवार के कौशल और वेतन पर आधारित होगा। नए नियमों के अनुसार, सभी आवेदकों को श्रम विभाग की रिपोर्ट के आधार पर चार वेतन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाएगा। उच्चतम श्रेणी में आने वाले उम्मीदवारों को लॉटरी में चार बार शामिल होने का मौका मिलेगा, जबकि निचली श्रेणी के उम्मीदवार केवल एक बार शामिल होंगे। इस बदलाव का उद्देश्य अधिक कुशल और उच्च वेतन पाने वाले कर्मचारियों को प्राथमिकता देना है।
के वीजा की विशेषताएँ
के वीजा, जो साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथेमेटिक्स (STEM) के ग्रेजुएट्स और शुरुआती शोधकर्ताओं के लिए है, स्थानीय नियोक्ता की आवश्यकता के बिना काम करने की अनुमति देता है। धारक सीधे रिसर्च, शिक्षा, स्टार्टअप और व्यवसाय गतिविधियों में भाग ले सकते हैं। यह चीन को वैश्विक प्रतिभाओं को आकर्षित करने का एक नया साधन बना सकता है।
जॉब ऑफर की आवश्यकता नहीं
के वीजा के लिए किसी कंपनी से जॉब ऑफर की आवश्यकता नहीं है, जिससे आवेदक चीन में जाकर नौकरी की तलाश कर सकते हैं। यह वीजा मल्टीपल एंट्री और 10 साल तक रहने की अनुमति देता है। STEM विषयों में पास आउट युवाओं को इस वीजा में प्राथमिकता दी जाएगी, और 45 वर्ष तक के पेशेवरों को इस श्रेणी में वीजा जारी करने का लक्ष्य है।
के वीजा का प्रभाव
एच1बी वीजा की फीस में वृद्धि के बाद, भारत के एंट्री-मिड लेवल पेशेवर चीन की ओर रुख कर सकते हैं। इस वीजा का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसके लिए किसी कंपनी या विश्वविद्यालय से जॉब ऑफर की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, एच1बी वीजा पर नई शर्तों के कारण अमेरिका में पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में कमी आ सकती है, लेकिन भारत और अन्य देशों में अवसरों की कोई कमी नहीं होगी।