चित्तौड़गढ़ का जौहर कुंड: रानी पद्मिनी की वीरता और रहस्यमय कहानियाँ
जौहर कुंड का ऐतिहासिक महत्व
चित्तौड़गढ़ के किले में स्थित जौहर कुंड वह स्थान है, जहां रानी पद्मिनी ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। कहा जाता है कि रानी ने 700 अन्य राजपूत महिलाओं के साथ जौहर किया। इस कुंड से जुड़ी कई कहानियाँ प्रचलित हैं, जिनमें से एक यह है कि आज भी यहां से चीखने की आवाजें सुनाई देती हैं। इस कारण लोग इस स्थान पर जाने से हिचकिचाते हैं। जौहर कुंड को एक भूतिया स्थल माना जाता है, और ऐसा माना जाता है कि जो भी यहां आता है, वह जीवित वापस नहीं लौटता।
जौहर की प्रक्रिया
जब किसी युद्ध में राजा की हार होती थी, तो रानी और अन्य महिलाएं जौहर करती थीं। इसका अर्थ है कि वे जौहर कुंड में आग लगाकर उसमें कूद जाती थीं। यह कदम उठाने का उद्देश्य था कि वे शत्रुओं से अपनी रक्षा कर सकें।
रानी पद्मावती की कथा
पुरानी कथाओं के अनुसार, रानी पद्मावती चित्तौड़गढ़ के किले में निवास करती थीं। उनका विवाह राजा रतन सिंह से हुआ था। रानी की सुंदरता के कारण अलाउद्दीन खिलजी उन पर मोहित हो गया था। उसने रानी को एक दर्पण में देखा और उन्हें पाने के लिए युद्ध छेड़ दिया।
मलिक मोहम्मद जायसी की काव्य रचना 'पद्मावती' में इस बात का उल्लेख है कि खिलजी ने रानी पद्मावती से विवाह करने की इच्छा से राजा रतन सिंह से युद्ध किया।
युद्ध और जौहर की घटना
खिलजी और रतन सिंह के बीच कई दिनों तक संघर्ष चला, जिसमें राजा रतन सिंह शहीद हो गए। जब रानी पद्मिनी को इस बात की जानकारी मिली, तो उन्होंने महल की अन्य रानियों और सैनिकों की पत्नियों के साथ मिलकर जौहर स्थल की ओर बढ़ने का निर्णय लिया। रानी पद्मिनी ने सबसे पहले आग में कूदकर अपने प्राणों की आहुति दी।
इस प्रकार, 700 महिलाएं एक-एक कर इस कुंड में कूद गईं। खिलजी ने सोचा कि युद्ध जीतने के बाद वह रानी पद्मावती को हासिल कर लेगा, लेकिन रानी ने जौहर करके उसे अपने इरादों में सफल नहीं होने दिया।
खुदाई में मिले सबूत
लगभग 60 साल पहले, पुरातत्व विभाग ने चित्तौड़गढ़ में खुदाई की थी, जिसमें जौहर के सबूत मिले थे। हालांकि, लोग इस कुंड के पास जाने से डरते हैं। कहा जाता है कि आज भी यहां से महिलाओं की चीखने की आवाजें आती हैं। जो भी इस कुंड के निकट जाने की कोशिश करता है, उसे असहजता का सामना करना पड़ता है। यही कारण है कि लोग इस स्थान को भूतिया महल मानते हैं।